OPINION: MP में फिर आयी बीजेपी तो पार्टी से ज्यादा शिवराज की होगी ये जीत
OPINION: MP में फिर आयी बीजेपी तो पार्टी से ज्यादा शिवराज की होगी ये जीत
शिवराज साधना (फाइल फोटो)
चौथी बार भी मध्यप्रदेश में भाजपा सत्ता में लौटती है तो यह शिवराज का ही कमाल होगा. लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहने के बाद भी उनके खिलाफ चुनाव से पहले कोई लहर या एंटी इनकमबेंसी नहीं दिखाई दी.
'ये दिग्विजय सिंह की फुकलेट सरकार नहीं है, जिसके पास पैसे नहीं थे. ये तुम्हारे मामा शिवराज सिंह की सरकार है. मैं तुम्हारी आंखों के सपने टूटने नहीं दूंगा.' शहर की एक निचली बस्ती में चुनावी सभा में शिवराज सिंह मंच पर मौजूद एक युवा छात्र का हाथ उठाकर आगे कहते हैं, "इसे तो हमने सिंगापुर भेजा था. आप सब लोग खूब पढ़ो, मैं आपको अमेरिका तक भेजूंगा." मध्यप्रदेश में चौथी बार भी अगर भाजपा सत्ता में आती है तो इसकी सबसे बड़ी वजह शिवराज सिंह का यही मॉडल होगा. ऋषि चार्वाक ने कहा है कर्ज़ लो और घी पियो. इस सिद्धांत को आधुनिक राजनीति में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बखूबी अपना लिया है.
भारी कर्ज़ में प्रदेश
शिवराज की लोकप्रियता का फॉर्मूला भी यही है. मार्च 2018 की सीएजी रिर्पोट कहती है मध्यप्रदेश पर 1.81 करोड़ लाख का कर्ज है. ओवरड्राफ्ट और कंगाली के हालात हैं. लेकिन शिवराज इसकी चिंता नहीं करते. साढ़े सात करोड़ की आबादी वाले मध्यप्रदेश में साढ़े पांच करोड़ लोगों को शिवराज सिंह सरकार ने गरीब बीपीएल कार्ड धारी बना दिया है. दो करोड़ लोगों को मजदूर. यानी राज्य का हर चौथा व्यक्ति मजदूर बन चुका है. सरकार की सौ से ज्यादा योजनाएं इन्हीं के इर्द- गिर्द हैं. इस पर बहुत बवाल हुआ फिर से इस लिस्ट को ठीक करने की कवायद हुई लेकिन जैसा शासक वैसे अधिकारी, वे तो अपना काम कर गुजरे.
बेटियों को लखपति बनाना है
शिवराज की योजनाओं की बानगी देखिए- वे कहते हैं, "बेटी लाडली लक्ष्मी है. उसे पैदा होते ही लखपति बनाना है. गरीब बहन को प्रसूति के बाद आराम करना है. उसे ठीक से खाना पीना है, जिसकी व्यवस्था भी इस भाई ने कर दी है." इस योजना की लोकप्रियता इस तरह होती है कि प्रदेश ही नहीं देश के दूसरे सात राज्य अपने यहां इसे लागू कर देते हैं.
वोट नहीं दिया तो पाप लगेगा
जन्म से लेकर मृत्यु तक चलने वाली शिवराज की योजानाओं का असर क्या है? इसका उदाहरण कांग्रेस के एक जिम्मेदार पदाधिकारी ऑफ द रेकार्ड मीडिया से कहते हुए सुने गए हैं. वे कहते हैं मेरे गांव के लोग ही मुझे इस बार वोट नहीं देने वाले हैं. वे आकर माफी मांगकर गए हैं. कह रहे हैं उनके बूढ़े माता-पिता को शिवराज सरकार ने तीर्थयात्रा करवाई है. इस बार उन्हें वोट नहीं दिया तो भगवान माफ नहीं करेगा.
किसान से लेकर छात्रों तक
मंदसौर में किसानों की मौत पर 1 करोड़ का मुआवजा देने वाली शिवराज सरकार कर्मचारियों को सातवें वेतनमान में 15 सौ करोड़ देती है. किसानों को खरीदी बोनस दे रही है तो भावांतर जैसी योजना लागू कर उनसे खाद्यान्न खरीद रही है. स्टूडेंट्स को 12वीं के बाद कॉलेज की फीस देने की बात कर रही है तो 75 फीसदी नंबर लाने वालों को लैपटॉप दिए जा रहे हैं. अब चुनावी घोषणा पत्र में बेटियों को स्कूटी देने का वादा किया गया है.
संबल योजना का असर
सरकार ने चुनाव के ऐन वक्त तेंदूपत्ता संग्राहकों को साड़ी और चप्पल बांटने का काम किया, हालांकि यह बहुत ही विवादित योजना रही. भ्रष्टाचार के खुले आरोप लगे. इन चप्पलों से कैंसर का खतरा नापा गया, लेकिन शिवराज नहीं डगमगाए. उन्होंने कुछ ही दिन में शहरों से लेकर गांव तक असर करने वाली योजना का ऐलान कर दिया, जिसमें गरीब बस्तियों में फ्लैट दो सौ रुपये में बिजली पहुंचाई गई. पुराना बकाया माफ किया गया. दरअसल जब जब सरकार पर संकट दिखा शिवराज एक नई योजना के साथ मैदान पकड़ते नजर आए.
पहले कहा- चेहरा नहीं होगा
इस बात को भूला नहीं जा सकता कि मध्यप्रदेश में चौथी बार भाजपा सरकार का नारा भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दिया था. ऐसा लग रहा था इस बार शिवराज और हाईकमान की राह जुदा है. घटनाक्रम को भांप कर शिवराज ने ज़बर्दस्त पैंतरा खेला. वे पूरे प्रदेश में जनआर्शीवाद यात्रा पर निकल पड़े. कांग्रेस अपना अध्यक्ष ही तय नहीं कर पा रही थी उसके पहले शिवराज रथ पर सवार होकर मैदान में निकल पड़े.
हाईकमान को भी मजबूर कर दिया
आखिर में भाजपा अध्यक्ष को चुनाव कैम्पेन के दौरान ही शिवराज को सबसे दयावान मुख्यमंत्री कहते हुए नारा बदलना पड़ा. चौथी बार फिर शिवराज के साथ भाजपा मैदान पकड़ती दिखाई दी और शिवराज ब्रांड के नाम पर चुनाव लड़ा गया.
शिवराज पहले, संघ-संगठन बाद में
ज़मीनी तौर पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा संगठन ने अपनी ताकत लगाई, लेकिन जिस तरह से संघ को दरकिनार कर शिवराज सिंह की मर्जी से टिकट बंटे उसने चुनाव की पूरी फिज़ा बदल दी. शिवराज सिंह के फ्री हैंड का असर यह रहा कि संघ और संगठन शिवराज सिंह के फीडबैक पर काम करते नज़र आए.
आज भी जनता के बीच का नेता
चौथी बार भी मध्यप्रदेश में भाजपा सत्ता में लौटती है तो ये शिवराज का ही कमाल होगा. लगातार तीन बार मुख्यमंत्री रहने के बाद भी उनके खिलाफ चुनाव से पहले कोई लहर या एंटी इनकमबेंसी नहीं दिखाई दी. तो इसकी साफ वजह यह भी है कि वे आज भी खुद को गरीब किसान का बेटा कहते हैं और जनता के बीच उसी तरह रहते हैं. भीड़ में खो जाने वाला एक सामान्य चेहरा, जिसमें कोई अहंकार नहीं और सत्ता का कोई गुरूर नहीं. जनता से जुड़ने का उनका अंदाज़ ही उन्हें दूसरे नेताओं से अलग कर देता है. भाजपा चौथी बार कांग्रेस को पटखनी देती है तो निसंदेह इसमें भाजपा से बड़ी जीत शिवराज सिंह की होगी.