कमलनाथ सरकार ने फैसला किया है कि अतिथि विद्वानों को सेवा से बाहर नहीं किया जाएगा. सहायक प्राध्यापकों (Assistant Professors) की नियुक्ति के बाद भी अतिथि विद्वानों को रिक्त पदों पर रखा जाएगा. वहीं पीएससी (PSC) की परीक्षा देने वाले अतिथि विद्वानों को 20 अंक अनुभव के दिए जाने का फैसला किया गया है. सरकार की घोषणा के बाद भी अतिथि विद्वान नाखुश हैं. उन्होंने सरकार के खिलाफ धरना जारी रखने का निर्णय लिया है.
अतिथि विद्वान नियमित करने की मांग को लेकर राजधानी के शाहजहांनी पार्क में धरने पर बैठे हैं. कैबिनेट में नई नीति के बाद अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक देवराज सिंह का कहना है कि कैबिनेट में सरकार प्रस्ताव ज़रूर लेकर आई है लेकिन वो हमारे हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि जहां तक प्रस्ताव का सवाल है तो उससे खाली जगहों पर अतिथि विद्वानों को कहां शिफ्ट करेंगे जब खाली जगह बची ही नहीं है. उन्होंने कहा कि रिक्त पदों पर एमपी-पीएससी से चयनित सहायक प्राध्यापकों को शिफ्ट कर दिया गया है जबकि सरकार ने इन्हें नियमित करने का वादा किया था.
मोर्चा के संयोजक देवराज सिंह ने कहा कि, 'वचन पत्र में 90 दिनों में नियमित करने का वादा किया था, लेकिन प्रस्ताव में नियमित करने की बात है ही नहीं. सरकार ने अतिथि विद्वानों को नियमित करने का प्रस्ताव नई नीति में क्यों शामिल नहीं किया.' उन्होंने कहा कि नियमित करने का वादा सरकार ने किया था जो कि अब तक पूरा नहीं किया है. ऐसे में अब नियमित करने की मांग पूरी नहीं होने तक धरना जारी रहेगा.
अतिथि विद्वानों की 'भविष्य सुरक्षा यात्रा' 4 दिसंबर से छिंदवाड़ा से शुरू हुई थी. पैदल मार्च के जरिए सरकार को वादा याद दिलाने अतिथि विद्वान भोपाल पहुंचे हैं. भोपाल में अतिथि विद्वानों का धरना मांगें पूरी होने तक जारी रहेगा. दो महीने पहले भी अतिथि विद्वानों की मांगें जल्द से जल्द पूरी करने का आश्वासन दिया गया था लेकिन वादा अब तक पूरा नहीं किया गया. ऐसे में पैदल मार्च के साथ अब भविष्य सुरक्षा यात्रा अनिश्चितकाल तक जारी रहेगी. सर्दी के बीच अतिथि विद्वान शाहजहांनी पार्क में डेरा डाले हुए हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 11, 2019, 22:01 IST