भोपाल. मध्य प्रदेश में पिछले 2 साल में राजद्रोह के तहत 10 केस दर्ज हुए लेकिन कार्रवाई एक में भी नहीं हुई. सबसे ज्यादा एफआईआर नीमच और बैतूल में दर्ज की गईं. अब सुप्रीम कोर्ट के कल आए आदेश के बाद सरकार देख रही है कि मध्यप्रदेश में क्या स्थिति है. गृह विभाग की तरफ से जानकारी भी दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून की समीक्षा होने तक नये केस दर्ज न करने का आदेश दिया है. पुराने मामलों में भी राजद्रोह में बंद लोग जमानत के लिए कोर्ट जा सकते हैं.
अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि प्रदेश में पिछले 2 साल में भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए में 10 एफआईआर दर्ज की गई हैं. उन्होंने बताया कि स्टेट क्राइम रजिस्ट्रेशन ब्यूरो (एससीआरबी) की जानकारी के अनुसार 1 जनवरी 2020 से 31 दिसम्बर 2020 की अवधि में एक, 1 जनवरी 2021 से 31 दिसम्बर 2021 की अवधि में 7 और 1 जनवरी 2022 से 10 मई 2022 की अवधि में 2 FIR दर्ज हुई हैं.
सबसे ज्यादा नीमच, बैतूल में FIR
एससीएस डॉ. राजौरा ने बताया कि एससीआरबी की जानकारी के अनुसार नीमच जिले के जावद और नीमच सिटी में, बैतूल के सारणी और मुलताई में, नर्मदापुरम के शिवपुर, अनूपपुर के थाना रामनगर में, उज्जैन के थाना जीवाजीगंज, सिवनी के थाना कुरई, सतना के थाना मैहर और जबलपुर के थाना हनुमानताल में आईपीसी की धारा 124-ए के तहत राजद्रोह के मामले में FIR दर्ज की गई हैं.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन
एसीएस गृह ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने कल 11 मई 2022 को भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए के संबंध में जो आदेश दिया है, एमपी में उस पर अमल किया जाएगा. राजद्रोह मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि नए केस दर्ज न हों, अगर किसी पर केस दर्ज होता है तो वह निचली अदालत को हमारे आदेश की जानकारी देकर राहत मांगे. लंबित केस में कार्रवाई रुकी रहे. हमारे अगले आदेश तक आज दिए निर्देश लागू रहेंगे और जुलाई के तीसरे हफ्ते में सुनवाई होगी.
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