भोपाल में एकता परिषद समेत कई संगठनों के बैनर तले प्रदेशभर के आदिवासियों का सम्मेलन हुआ.
भोपाल. मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार सत्तारूढ़ दल का बड़ा फोकस राज्य के आदिवासी समुदाय पर भी है. आदिवासियों के लिए तमाम घोषणाएं की जा रही हैं. सम्मेलनों के साथ ही आदिवासी विभूतियों को सम्मानित किया जा रहा है. वहीं राज्य में जल, जंगल, जमीन, जन, जानवर (पंच ज) से जुड़ी अपनी समस्याओं को लेकर आदिवासी एकजुट हो रहे हैं. भोपाल में प्रदेश के आदिवासी बहुल 22 जिलों से सैकड़ों की संख्या में आए आदिवासियों, वनवासियों ने इस बाबत अपनी आवाज बुलंद की.
एकता परिषद समेत कई जनसंगठनों के बैनर तले ‘पंज ज’ संरक्षण, संवर्धन और आजीविका विषय पर आयोजित राज्य सम्मेलन में आदिवासी समुदाय के मुखियाओं ने अपने-अपने क्षेत्र की समस्याएं साझा कीं. उन्होंने वन विभाग, फसल क्षति और वन अधिकार दावों से जुड़ी अपनी समस्याएं साझा की. साथ ही कहा कि आदिवासी समुदाय को न तो जंगल से आजीविका मिल पा रही है और न ही उन्हें रोजगार से जोड़ा जा रहा है.
सम्मेलन में एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सिंह परमार ने कहा कि संगठन की ताकत से हमने कई कानूनों में बदलाव कराए हैं. हमें फिर अपनी ताकत को पहचान कर एकजुटता दिखानी होगी, ताकि न केवल आदिवासी बल्कि सभी वंचित समुदाय को जल, जंगल, जमीन पर अधिकार मिले और आजीविका का साधन मिले.
वन अधिकार दावे बिना बताए निरस्त किए जा रहे
बरगी बांध विस्थापित संघ के राजकुमार सिन्हा ने कहा कि 2008 में पहली बार जब वन अधिकार के दावे किए गए थे, तब निरस्त करने पर कारण भी बताए गए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि अब निरस्त दावों के कारण नहीं बताए जा रहे हैं. कानून विशेषज्ञ जयंत वर्मा कहा कि संगठन की ताकत से अंग्रेजों के जमाने के बनाए कानून को बदलवाने की जरूरत है. एकता परिषद के निर्भय सिंह ने कहा कि ‘पंच ज’ के अधिकारों के लिए संघर्ष के साथ-साथ सरकार के साथ संवाद भी करते रहेंगे.
एकता परिषद के राष्ट्रीय महासचिव अनीष कुमार, संतोष सिंह, डोंगर शर्मा, दीपक अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीवान, सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. अजय मेहता सहित कई वक्ताओं ने सम्मेलन को संबोधित किया. वन अधिकार कानून के तहत दावेदारों को उनके दावा दिलाने के लिए प्रदेश के सभी जन संगठन आगामी दिनों में वन अधिकार पर व्यापक स्तर पर काम करेंगे. जिन आदिवासी परिवारों को वन अधिकार मिल चुके हैं, उन्होंने जैविक खेती से उपजी फसलों को सम्मेलन में प्रदर्शित किया.
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