भोपाल. भर्ती घोटाले मामले में निलंबित किए गए भोपाल सहकारी दुग्ध संघ के मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) आरपीएस तिवारी को महज आठ दिन में ही बहाल कर दिया है. तिवारी पर गंभीर आरोप होने के बाद भी इस तरह के आदेश जारी होने से विभाग में हड़कंप मच गया है.
एमपी स्टेट कॉआपरेटिव डेयरी फेडरेशन (एमपीसीडीएफ) के प्रबंध संचालक व सहकारिता आयुक्त संजय गुप्ता ने 19 अप्रैल को तिवारी को निलंबित किया था. साथ ही, विपणन प्रबंधक पंकज पांडे को भी बर्खास्त किया था. गुप्ता ने यह आदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ व न्यायाधीश पुरुषेंद्र कुमार कौरव की फटकार के बाद जारी किया था. लेकिन 28 अप्रैल को पशुपालन विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) जेएन कंसोटिया ने तिवारी को बहाल कर दिया है. इस मामले में कंसोटिया ने कहा कि तिवारी पर बिना जांच के निलंबन की कार्रवाई की थी इसलिए बहाल किया है.
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क्या है दुग्ध संघ का भर्ती घोटाला
एमपीसीडीएफ में 48 पदों पर भर्ती के लिए फरवरी 2016 में व्यापमं (पीईबी) ने चयन परीक्षा ली थी. इसमें चार पद विपणन प्रबंधक के थे. पीईबी ने 13 जुलाई 2016 में चयन सूची एमपीसीडीएफ को उपलब्ध करा दी थी, जो 18 माह तक प्रभावी थी और 13 जनवरी 2018 को इसकी वैधता खत्म हो गई थी. इसके बावजूद 22 सितंबर 2018 को पंकज पांडे को नियुक्ति दे दी गई थी.
मंत्री के निर्देश भी रद्दी की टोकरी में
चार माह पूर्व भी मंत्री प्रेम सिंह पटेल द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र के आधार पर एमपीसीडीएफ के तत्कालीन प्रबंध संचालक ने तिवारी का तबादला किया था. लेकिन एसीएस कंसोटिया ने तिवारी का तबादला आदेश निरस्त कर दिया. दोनों बार कंसोटिया ने एमपीसीडीएफ के प्राधिकृत अधिकारी की हैसियत से हस्तक्षेप किया है.
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हाईकोर्ट ने ऐसे दी थी दखल
हाईकोर्ट में इस मामले की 13 अप्रैल को सुनवाई थी जिसमें एमपीसीडीएफ की ओर से जवाब पेश किया गया. कोर्ट ने कहा कि नियमों के विपरीत नौकरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है. यही नहीं, हाईकोर्ट ने 18 अप्रैल को एमपीसीडीएफ के प्रबंध संचालक संजय गुप्ता व अन्य को तलब कर फटकार लगाई. आनन-फानन में प्रबंध संचालक ने 19 अप्रैल को तिवारी पर निलंबन की कार्रवाई कर 20 अप्रैल को कोर्ट को अवगत कराया था.
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