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मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भारत बंद के दौरान दर्ज किए गए केस वापस लेने के फैसले के बाद भारत बंद एक बार फिर चर्चा में है. एससी एसटी एक्ट के खिलाफ देश के कई संगठनों ने जबरदस्त आंदोलन किया था. इस दौरान कई जगहों पर हिंसा भी हुई थी.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी (प्रिवेंशन ऑफ एट्रोसिटीज) एक्ट के दुरुपयोग पर चिंता जताई थी और इसके तहत मामलों में तुरंत गिरफ्तारी की जगह शुरुआती जांच की बात कही थी. सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च, 2018 को लिए गए फैसले में एक्ट में बदलाव को हरी झंडी दे दी थी.
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक शिकायतों पर एफआईआर दर्ज करने से पहले पुलिस जांच करेगी कि मामला सही है भी या नहीं. इसके अलावा वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अनुमति के बाद ही आरोपियों को गिरफ्तार किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट में बदलाव करते हुए कहा था कि मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. कोर्ट ने कहा था कि शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा भी दर्ज नहीं किया जाएगा. शिकायत मिलने के बाद डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर द्वारा शुरुआती जांच की जाएगी और जांच किसी भी सूरत में 7 दिन से ज्यादा समय तक नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट के गलत इस्तेमाल की बात कोमाना था.
इस फैसले के खिलाफ ही भारत बंद का ऐलान किया गया था. कई संगठन इस फ़ैसले से नाराज हो गए थे. हालांकि, केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस फ़ैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर कर दी थी. इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे संगठनों का तर्क था कि इससे 1989 का अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम कमजोर पड़ जाएगा. इस ऐक्ट के सेक्शन 18 के तहत ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं है. ऐसे में अपराधियों के लिए बच निकलना आसान हो जाएगा.
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