सीधी से सतना जा रही बस बाणसागर नहर में समा गई, जिसकी वजह से 54 लोगों को जान गंवानी पड़ी. (फाइल फोटो)
Sidhi Bus Accident: परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत के सार्वजनिक भोज से सालभर दूरी के संकल्प को विश्लेषक 'इमोशनल कार्ड' के तौर पर देख रहे हैं, क्योंकि सीधी में बस हादसे और उसमें 54 लोगों की मौत के बाद मंत्री राजपूत घिर गए हैं. एक तरफ उनके सामने विधानसभा कांग्रेस को जवाब देने की चुनौती है, तो दूसरी और उन अवैध बसों पर कार्रवाई न कर पाने की लाचारी है.
- News18Hindi
- Last Updated:
February 23, 2021, 1:12 PM IST
मध्य प्रदेश के परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत ने एक साल तक किसी सार्वजनिक भोज में शामिल नहीं होने का संकल्प लिया है. राजपूत ने यहां तक कहा है कि भोज पर चाहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह बुलाएं या ज्योतिरादित्य सिंधिया, वह इसमें भी नहीं जाएंगे. राजपूत ने यह संकल्प सोमवार को राज्य विधानसभा के बजट सत्र के ऐन पहले लिया. उनके इस संकल्प को सियासी विश्लेषक अलग-अलग नजरिए से देख रहे हैं, कुछ मानते हैं कि वसंत पंचमी के दिन सीधी बस हादसे में हुई 54 मौतों को लेकर उनके पास कोई जवाब नहीं है, न ही भविष्य के लिए कोई एक्शन प्लान. बजट सत्र में सबसे ज्यादा हंगामा सीधी बस हादसे और परिवहन मंत्री की कथित संवेदनहीनता, लापरवाही को लेकर होने वाला है, इसलिए मंत्री ने यह संकल्प का “इमोशनल कार्ड” खेला है, ताकि यह संदेश जाए कि वास्तव में मंत्री खुद कितने दुखी और एक्शन को लेकर संजीदा हैं.
बता दें कि वसंत पंचमी के दिन 16 फरवरी को सीधी के
छुहिया घाट पर यात्रियों से भरी बस छुहिया घाट पर नहर में समा गई थी, जिसमें 54 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी. जिस दिन हृदय विदारक यह घटना हुई, उस दिन हादसे वाली जगह पर जाने की बजाय परिवहन मंत्री गोविन्द सिंह राजपूत अपने मंत्री मित्र अरविन्द भदौरिया के घर पर दावत में थे. उनका ठहाके लगाता हुआ वीडियो वायरल हुआ था. पूरे एक हफ्ते बाद उन्हें दावत से हुई चौतरफा किरकिरी का अहसास हुआ और पश्चाताप स्वरूप उन्होंने साल भर तक सार्वजनिक भोज से दूरी बनाने का संकल्प ले लिया. राजपूत ने खुद बताया कि किसी भोज में शामिल न होने के संकल्प के चलते ही वह प्रोटेम स्पीकर के भोज में नहीं पहुंचे. आगे भी किसी सार्वजनिक भोज में नहीं जाएंगे.
एक्शन में आते ही फंसे दुविधा में
सीधी हादसे के दूसरे दिन गोविन्द सिंह राजपूत हरकत में आए और खुद सड़क पर उतरे और बस में सवार जांच करते हुए उनकी कई तस्वीरें भी मीडिया के सामने आईं, लेकिन उसके बाद सड़क पर कहीं नहीं दिखाई दिए. बताते हैं कि उनकी तत्परता और अवैध बसों के संचालन के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हुई, वैसे ही राजपूत के पास भाजपा नेताओं के फोन बजने लगे. फोन करने वालों में कुछ ऐसे आला नेता भी थे, जिनके हुकुम को ना मानना नाफरमानी माना जा सकता था. वह शरण देने वाले भाजपा नेताओं पर कार्रवाई कैसे करें, यह उनकी सबसे बड़ी दुविधा है. प्रदेश में अवैध बसों के संचालन के खिलाफ की गई कार्रवाई में करीब 600 से ज्यादा कंडम बसें जब्त की गई हैं. इन बसों की जब्ती बताती है कि केन्द्र सरकार की स्क्रैप पॉलिसी की मध्य प्रदेश में किस कदर धज्जियां उड़ रही हैं. इन बसों को कबाड़ में क्यों नहीं बदला जा सका, इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है. भाजपा नेताओं की इन बसों पर कोई कैसे कार्रवाई करे, यह सबसे बड़ा सवाल है.
एक्शन में आते ही फंसे दुविधा में
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भाजपा में फूंक-फूंक कर कदम रख रहे
भाजपा में राजपूत की आमद बिल्कुल नई है, भाजपा की सियासत में उनकी शुरुआत हो रही है, अभी वह पार्टी की रीति-नीति सीखने के साथ ही यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि कब-कैसी करवट लेना है. इसलिए राजपूत बहुत सावधानी से फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं. भाजपा नेताओं के दबाव और कार्रवाई न कर पाने की दुविधा से बचने के लिए उन्होंने दो काम किए, एक तो खुद सड़क पर नहीं उतरे, दूसरे विभाग के अधिकारियों को अपने स्तर पर हफ्ते भर का अभियान चलाने के लिए कह दिया. ऐसा करके उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने यह विकल्प छोड़ दिया कि आगे वह कार्रवाई को लेकर खुद अपनी तरफ से टूर एंड ट्रेवल्स का कारोबार करने वाले भाजपा नेताओं को यह संदेश दें कि वह परिवहन नियमों के अनुसार चलें, वरना कार्रवाई होगी. ऐसा करने से राजपूत को भाजपा नेताओं की सीधे तौर पर नाराजगी नहीं झेलनी पड़ेगी.
भाजपा में फूंक-फूंक कर कदम रख रहे
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भाजपा नेताओं की सबसे ज्यादा बसें
बता दें कि कमलनाथ की कांग्रेस सरकार के सवा साल छोड़ दें तो पिछले डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है. जाहिर है कि मध्यप्रदेश की सड़कों पर भाजपा नेताओं की ही सबसे ज्यादा बसें दौड़ रही हैं. ऐसे में किसकी मजाल है कि भाजपा नेताओं की बसों पर कार्रवाई करे. कांग्रेस से पाला बदलकर भाजपा में आए नवोदित राजपूत के लिए सांसत में पड़ने का यह पहला मौका है, जब उनकी समझ में नहीं आ रहा कि क्या करें कि वह नेताओं की माने या कार्रवाई करें.
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कांग्रेस आक्रामक, विधानसभा में घेरने की तैयारी में
मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सोमवार को शुरू हो गया. सत्र के दौरान कांग्रेस जिन मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने वाली है, उनमें सबसे बड़ा मुद्दा सीधी बस हादसा है. इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस घटना के बाद से ही आक्रामक है. वह परिवहन मंत्री ने सीधे तौर पर इस्तीफे की मांग कर रही है. साथ ही विधानसभा से सड़क तक अवैध बसों के संचालन और परिवहन मंत्री के खिलाफ हल्ला बोलने की कांग्रेस की तैयारी है. कांग्रेस राजपूत को इसलिए और भी सख्ती से घेरेगी, क्योंकि राजपूत सिंधिया समर्थक उन बागियों में से एक है, जिन्होंने पिछले साल मार्च में कमलनाथ की सरकार गिरा दी थी. (डिस्क्लेमरः ये लेखक के निजी विचार हैं.)
कांग्रेस आक्रामक, विधानसभा में घेरने की तैयारी में
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