रिपोर्ट: हिमांशु अग्रवाल
छतरपुर. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल खजुराहो एक ओर जहां देशी विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है तो दूसरी ओर यहां एक ऐसा आदिवासी गांव बसाया गया है, जहां सात जनजातियों की संस्कृति झलकती है. इसके जनजातीय संग्रालय ‘आदिवर्त’ के नाम से जाना जाता है. इस संग्रहालय को आदिवासी, जनजातीय संस्कृति, रहन-सहन, सभ्यता और कला से पर्यटकों को परिचित कराने के उद्देश्य से विकसित किया गया है.
आपको बता दें कि भोपाल और उज्जैन के बाद यह मध्य प्रदेश में तीसरा जनजाति संग्रहालय है, जोकि छतरपुर जिले के खजुराहो में है. यही नहीं, इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिल रहा है. इसी साल फरवरी में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका उद्घाटन किया गया था.आदिवर्त में मध्यप्रदेश की प्रमुख 7 जनजातियों के आदर्श घर बनाए गए हैं और इनकी सभ्यता को बखूबी दिखाया गया है.
आदिवर्त में घूमने की इतनी है फीस
आदिवर्त में गौंड, भील, भारिया, कोल, सहरिया, बैगा कोरकु जातियों का एक जगह संगम कर इनका रहन-सहन, खाना-पान, वेशभूषा दिखाया गया है. यह संग्रहालय लगभग 2 एकड़ जमीन पर बनाया गया है और इसको बनाने के लिए लगभग साढ़े सात करोड़ रुपए का खर्च आया है. वहीं, इसे घूमने के लिए देशी पर्यटकों को 20 रुपये, तो विदेशी पर्यटकों को 400 रुपये देने पड़ते हैं. इसके अलावा यहां पर कैमरे का 100 रुपए चार्ज लिया जाता है.
दिल्ली से घूमने आई हरलीन बताती हैं कि जनजाति से संबंधित कल्चर को दिखाया गया है. उनके रहन-सहन के साथ साथ उनकी जीवनशैली भी यहां पर बहुत ही खूबसूरती से दिखाई गई है. आदिवर्त आकर बहुत ही आनंद आया.वहीं आदिवर्त संग्रहालय के प्रबंधन भास्कर परखे ने बताया कि मध्य प्रदेश के सांस्कृतिक गौरव को एक जगह दिखाने का प्रयास किया है.
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