VIDEO: उम्र 88 वर्ष पर आज भी चलाते हैं 60 किलोमीटर साइकिल
दमोह जिले के बिजौरी गांव के निवासी पंडित मनमोहन उर्फ साइकिल वाले दादाजी की उम्र 88 वर्ष पर है पर आज भी 60 किलोमीटर साइकिल चलाते हैं.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: July 10, 2019, 7:42 PM IST
जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिजौरी गांव के पंडित मनमोहन उर्फ साइकिल वाले दादाजी का जन्म एक जनवरी 1931 को हुआ बताया जाता है. जन्म के कुछ समय बाद ही उनके माता- पिता का स्वर्गवास हो गया और उनकी बुआ की लड़की ने उनकी परवरिश की. बताया जाता है कि पिछली सदी के चौथे दशक में जब ग्रामीण क्षेत्रो में साइकिल का प्रचलन नहीं हुआ था उस समय उनकी बहन ने उन्हें साइकिल लेकर दी थी. जिसके बाद उन्होंने अच्छी शिक्षा प्राप्त की और साइकिल को वरदान मानकर अपने जीवन का हिस्सा बना लिया. आज सुख- सुविधा के साधन होने के वावजूद दादाजी ने साइकिल को अपने से अलग नही होने दिया, यह अलग बात है कि करीब 20 वर्ष से परिजन उन्हें साइकिल चलाने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन दादा को आज भी गांव से 30 किलोमीटर दमोह जाना और वापस आना आसान काम दिखता है.

दादाजी बगैर चश्मे के लिखते और चलते हैं आसानी से
जब न्यूज़ 18 की टीम इस बात की पड़ताल करने निकली तो दादा जी सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान की पूजा करते दिखे. नहाने में किसी का भी सहयोग नहीं लेते दिखे और इतनी उम्र में जहां लोगों के हाथ कांपने लगते हैं, दादाजी को पूजा के समय बेल पत्र पर राम- राम लिखने में कोई परेशानी होती नहीं दिखी और बड़े ही आसानी से लिखते दिखे.
पूजा करने के बाद दादा जी अपनी साइकिल से गांव से दमोह के लिए निकले और रास्ते मे लोगों से हंसते-हंसाते, मिलते- जुलते बीच- बीच मे साइकिल का हैंडल छोड़कर भी साइकिल चलाते नजर आए. दमोह पहुंच कर अपने नाती-पोती से मुलाकात कर अपनी जरूरत का सामान लेने बाजार पहुंचे और सामान खरीद कर गांव लौट गए.
(रिपोर्ट- धर्मेश पांडेय)
ये भी पढ़ें- जैतहरी जनपद सीईओ का रिश्वत मांगने का ऑडियो हुआ वायरल

पंडित मनमोहन उर्फ साइकिल वाले दादाजी सुबह उठकर करते हैं पूजा
दादाजी बगैर चश्मे के लिखते और चलते हैं आसानी से
जब न्यूज़ 18 की टीम इस बात की पड़ताल करने निकली तो दादा जी सुबह उठकर स्नान करने के बाद भगवान की पूजा करते दिखे. नहाने में किसी का भी सहयोग नहीं लेते दिखे और इतनी उम्र में जहां लोगों के हाथ कांपने लगते हैं, दादाजी को पूजा के समय बेल पत्र पर राम- राम लिखने में कोई परेशानी होती नहीं दिखी और बड़े ही आसानी से लिखते दिखे.

सुबह जगने के बाद स्नान करने में नहीं लेते हैं किसी की मदद
पूजा करने के बाद दादा जी अपनी साइकिल से गांव से दमोह के लिए निकले और रास्ते मे लोगों से हंसते-हंसाते, मिलते- जुलते बीच- बीच मे साइकिल का हैंडल छोड़कर भी साइकिल चलाते नजर आए. दमोह पहुंच कर अपने नाती-पोती से मुलाकात कर अपनी जरूरत का सामान लेने बाजार पहुंचे और सामान खरीद कर गांव लौट गए.
(रिपोर्ट- धर्मेश पांडेय)
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