दमोह कृषि मंडी में चना बेचने आए किसान हो रहे परेशान

दमोह की मंडी में चना बेचने आए किसान कई कई दिन से अपनी बारी का इंतजार करते हुए
दमोह की कृषि उपज मंडी में चना बेचने के लिए आया हर एक किसान परेशान है. यह सभी किसान पंजीकरण के बाद अपनी फसल को बेचने के लिए आए हैं. यहां किसानों की फसल की तौल धीमी होने के साथ देरी हो रही है. कई- कई दिन से किसान अनाज लिए यहां पड़े हैं, पूरी मंडी में किसानों की फसल फैली हुई है.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: May 4, 2018, 7:58 PM IST
मध्य प्रदेश में लगातार ही किसान परेशान हो रहा है. सरकार के खरीद केंद्रों पर सुविधा देने के लाख दावों के बावजूद जमीनी हकीकत कुछ और ही है. दमोह की कृषि उपज मंडी में चना बेचने के लिए आया हर एक किसान परेशान है. यह सभी किसान पंजीकरण के बाद अपनी फसल को बेचने के लिए आए हैं.कृषि उपज मंडी में किसानों की परेशानी पर न तो मंडी प्रशासन का कोई ध्यान है और न ही जिला प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार से समस्या का समाधान किया जा रहा है. यहां किसानों की फसल की तौल धीमी होने के साथ देरी हो रही है. कई- कई दिन से किसान अनाज लिए यहां पड़े हैं, पूरी मंडी में किसानों की फसल फैली हुई है.
जनपद भर का किसान 44 डिग्री पारे में अपनी फसल को बेचने के लिए कृषि उपज मंडी परिसर दमोह में आया हुआ है. लेकिन खरीद के लिए यहां किसानों के अनाज की तुलाई करने में अनावश्यक देरी से वह काफी परेशान हैं. किसानों का कहना है कि तीन से चार दिन से वह लोग अपनी फसल को बेचने के लिए यहां पर आए हैं लेकिन खरीद के नाम पर उनके साथ छल किया जा रहा है. जहां तौल की कोई उचित व्यवस्था नहीं है, ऐसे में खरीद में देरी हो रही है.
वहीं किसानों का कहना है कि पल्लेदारों की मनमानी चल रही है. उनको 15 से 20 रुपये प्रति बोरी उठवाने के लिए देना पड़ रहा है। यहां किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है.सरकार किसानों को मंडी में पहुंचने पर सुविधाएं देने का दावा कर रही है लेकिन मंडी में अपनी खून पसीने से उगाई फसल को बेचने के लिए उसको अपना और खून सुखाना पड़ रहा है.
जनपद भर का किसान 44 डिग्री पारे में अपनी फसल को बेचने के लिए कृषि उपज मंडी परिसर दमोह में आया हुआ है. लेकिन खरीद के लिए यहां किसानों के अनाज की तुलाई करने में अनावश्यक देरी से वह काफी परेशान हैं. किसानों का कहना है कि तीन से चार दिन से वह लोग अपनी फसल को बेचने के लिए यहां पर आए हैं लेकिन खरीद के नाम पर उनके साथ छल किया जा रहा है. जहां तौल की कोई उचित व्यवस्था नहीं है, ऐसे में खरीद में देरी हो रही है.
वहीं किसानों का कहना है कि पल्लेदारों की मनमानी चल रही है. उनको 15 से 20 रुपये प्रति बोरी उठवाने के लिए देना पड़ रहा है। यहां किसानों की सुनने वाला कोई नहीं है.सरकार किसानों को मंडी में पहुंचने पर सुविधाएं देने का दावा कर रही है लेकिन मंडी में अपनी खून पसीने से उगाई फसल को बेचने के लिए उसको अपना और खून सुखाना पड़ रहा है.