गर्ल्स हॉस्टल में एक बूंद पानी नहीं, 2 KM दूर शौच और नहाने जाती हैं छात्राएं

दमोह में लोटा परेड
शिक्षा विभाग के अफसरों को इस मामले से अवगत कराया तो वह इस मामले में कुछ भी कहने से बचते नजर आए.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: May 11, 2018, 3:40 PM IST
मध्य प्रदेश के दमोह जिले में एक सरकारी हॉस्टल की लड़कियों को खुले में शौच जाने का मामला सामने आया है. यहां हॉस्टल की छात्राएं शौच करने लिए दो किलोमीटर का सफर तय करती है. बताया जा रहा है कि गर्ल्स हॉस्टल में पानी का इंतज़ाम नहीं होने के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
दमोह जले के मड़ियादो में स्थित सरकारी बालिका छात्रावास में रहने वाली छात्राएं रोज सुबह हाथों में लोटा लेकर गांव से दो किलोमीटर पैदल शौच के लिए जाती है. हॉस्टल में पानी नहीं होने के कारण लड़किया रोज लाइन लगाकर नाले की तरफ शौच और नहाने के लिए जाती है.
दरअसल, सरकारी हॉस्टल में दो बोरवेल खुदवाने के बाद भी पानी की कमी है. यहां गर्मी के शुरू होते ही पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. हॉस्टल प्रबंधन किसी तरह छात्राओं के लिए पीने के पानी का इंतजाम कर लेता है. लेकिन लड़कियों को शौच और दैनिक उपयोग के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है .
छात्राओं के खुले में शौच और नहाने जाने पर हॉस्टल प्रबंधन का तर्क है कि हम पानी कहां से लेकर आए. वार्डन ने बताया कि इस परेशानी को लेकर सर्व शिक्षा अभियान के आला अफसरों को अवगत कराया लेकिन अब तक उनकी तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. शिक्षा विभाग के अफसर को इस मामले में कुछ भी कहने से बचते नजर आए.वहीं, मामला उजागर होने के बाद कलेक्टर डॉ श्रीनिवास शर्मा ने हालातों की जानकारी ली. कलेक्टर के मुताबिक उन्होंने तत्काल हॉस्टल के अंदर पानी के इंतजाम करने के निर्देश दिए.
बहरहाल, जब देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है सरकार खुले में शौच से मुक्ति का अभियान चला रही है और प्रधानमंत्री इस मामले को लेकर संवेदनशील है.वहीं, दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में ये शर्मसार करने वाली तस्वीर कहीं ना कहीं सरकार को कटघरे में जरूर खड़ा कर रही है.
दमोह जले के मड़ियादो में स्थित सरकारी बालिका छात्रावास में रहने वाली छात्राएं रोज सुबह हाथों में लोटा लेकर गांव से दो किलोमीटर पैदल शौच के लिए जाती है. हॉस्टल में पानी नहीं होने के कारण लड़किया रोज लाइन लगाकर नाले की तरफ शौच और नहाने के लिए जाती है.
दरअसल, सरकारी हॉस्टल में दो बोरवेल खुदवाने के बाद भी पानी की कमी है. यहां गर्मी के शुरू होते ही पानी की किल्लत शुरू हो जाती है. हॉस्टल प्रबंधन किसी तरह छात्राओं के लिए पीने के पानी का इंतजाम कर लेता है. लेकिन लड़कियों को शौच और दैनिक उपयोग के लिए पानी उपलब्ध नहीं हो पाता है .
छात्राओं के खुले में शौच और नहाने जाने पर हॉस्टल प्रबंधन का तर्क है कि हम पानी कहां से लेकर आए. वार्डन ने बताया कि इस परेशानी को लेकर सर्व शिक्षा अभियान के आला अफसरों को अवगत कराया लेकिन अब तक उनकी तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. शिक्षा विभाग के अफसर को इस मामले में कुछ भी कहने से बचते नजर आए.वहीं, मामला उजागर होने के बाद कलेक्टर डॉ श्रीनिवास शर्मा ने हालातों की जानकारी ली. कलेक्टर के मुताबिक उन्होंने तत्काल हॉस्टल के अंदर पानी के इंतजाम करने के निर्देश दिए.
बहरहाल, जब देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है सरकार खुले में शौच से मुक्ति का अभियान चला रही है और प्रधानमंत्री इस मामले को लेकर संवेदनशील है.वहीं, दूसरी तरफ मध्यप्रदेश में ये शर्मसार करने वाली तस्वीर कहीं ना कहीं सरकार को कटघरे में जरूर खड़ा कर रही है.