रक्षा बंधन: दुकानदार भी दे रहे बहनों का साथ, दिखा रहे चीन को ठेंगा

दमोह में महिला संगठनों द्वारा चाइनीज राखियों के विरोध प्रदर्शन के बाद अब दुकानदार भी इन राखियों को बेचने से कतरा रहे हैं. मेड इन चाइना की राखियां न तो दुकानदार बेंच रहे हैं और न ही इन्हें अब कोई खरीदने वाला है.
दमोह में महिला संगठनों द्वारा चाइनीज राखियों के विरोध प्रदर्शन के बाद अब दुकानदार भी इन राखियों को बेचने से कतरा रहे हैं. मेड इन चाइना की राखियां न तो दुकानदार बेंच रहे हैं और न ही इन्हें अब कोई खरीदने वाला है.
- ETV MP/Chhattisgarh
- Last Updated: August 6, 2017, 3:23 PM IST
दमोह में महिला संगठनों द्वारा चाइनीज राखियों के विरोध प्रदर्शन के बाद अब दुकानदार भी इन राखियों को बेचने से कतरा रहे हैं. मेड इन चाइना की राखियां न तो दुकानदार बेंच रहे हैं और न ही इन्हें अब कोई खरीदने वाला है.
दुकानदार स्वदेशी अपनाएं देश बचाएं के बैनर तले भारतीय राखियां ही बेच रहें हैं, और लोग भारत में निर्मित हुई राखियों को ही खरीद रहें हैं.
रक्षा बंधन: इस बार चीन को ठेंगा दिखा रहीं हैं ग्वालियर की ये महिलाएं
खरीददारी कर रही महिलाओं का कहना है कि वह अपने भाइयों की कलाई पर सिर्फ भारत में बनाई गई राखियां ही बांधेंगी, चाइना की नहीं.
VIDEO: मुस्लिम परिवार की महिलाएं बनाती हैं खूबसूरत राखियां
रक्षा बंधन के इस त्यौहार पर दमोह में देश भक्ति और स्वदेशी का जो जज्बा देखने मिला वह पहले किसी भी त्यौहार में देखने नहीं मिला और यदि यह अलख आगे भी एक आंदोलन के रूप में जारी रहा तो वह दिन दूर नहीं जब प्रत्येक भारतीय त्यौहार स्वदेशी और देशभक्ति के साथ मनाया जाने लगेगा.
दुकानदार स्वदेशी अपनाएं देश बचाएं के बैनर तले भारतीय राखियां ही बेच रहें हैं, और लोग भारत में निर्मित हुई राखियों को ही खरीद रहें हैं.
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राखियों की खरीदारी करने के लिए दमोह के ह्रदय स्थल घंटा घर के आसपास बाजार में खासी भीड़ देखी जा रही है. खास बात यह कि पूरा बाजार भारत में बनाई गयी आकर्षक राखियों से भरा हुआ है. तरह तरह की डिजाइनों में सजी और संवरी यह राखियां बहनों को खूब लुभा रही हैं. कलकत्ता अहमदाबाद सहित दूसरे शहरों से थोक में खरीद कर लाए दुकानदार यह राखियां यहां बेच रहे हैं.
खरीददारी कर रही महिलाओं का कहना है कि वह अपने भाइयों की कलाई पर सिर्फ भारत में बनाई गई राखियां ही बांधेंगी, चाइना की नहीं.
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रक्षा बंधन के इस त्यौहार पर दमोह में देश भक्ति और स्वदेशी का जो जज्बा देखने मिला वह पहले किसी भी त्यौहार में देखने नहीं मिला और यदि यह अलख आगे भी एक आंदोलन के रूप में जारी रहा तो वह दिन दूर नहीं जब प्रत्येक भारतीय त्यौहार स्वदेशी और देशभक्ति के साथ मनाया जाने लगेगा.