देवास वाली माता की प्रसिद्धि चहुंओर है. मान्यता के अनुसार यहां जो भी सच्चे मन से माता रानी की आराधना करता है, उसकी इच्छा जरूर पूरी होती है. (न्यूज 18 हिन्दी)
देवास. चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च 2023 से होने वाली है. देशभर में पूरी निष्ठा और धार्मिक परंपराओं के साथ माता रानी की पूजा-अर्चना की जाती है. हमारे देश में माता रानी की कई ऐसी मंदिरें हैं, जिनको लेकर सदियों से मान्यताएं चली आ रही हैं. इन्हीं में से एक हैं देवास वाली माता का मंदिर. यह मंदिर मध्य प्रदेश के देवास जिले में स्थित है. शक्तावतों की आराध्य देवी मां चामुंडा और तुलजा भवानी की महिमा जगजाहिर है. माता के चमत्कार से जुड़ी कहानियां भी अनादि काल से चली आ रही हैं. ऐसी मान्यता है कि कि माता रानी की जिसपर महर होती है, उसका उद्धार हो जाता है. मान्यता यह भी है कि यहां माता 24 घंटे में तीन बार अपना स्वरूप बदलती हैं. यहां माता सती का रक्त गिरा था, जिसके कारण इसे रक्त शक्ति पीठ का दर्जा प्राप्त है. गुरु गोरखनाथ, राजा भर्तृहरि, सद्गुरु शीलनाथ महाराज जैसे कई सिद्ध पुरुषों ने यहां पर तपस्या की थी. राजा विक्रमादित्य और पृथ्वीराज चौहान भी माता के दरबार में माथ टेकते थे. यहां माता को पान का बीड़ा खिलाने की है प्रथा.
मां चमुंडा और तुलजा भवानी नाथ सम्प्रदाय की इष्ट देवी मानी जाती हैं. अष्टमी और नवमी के दिन यहां पर राज परिवार पूजन कर हवन में आहुति देते हैं. यहां शिखर दर्शन का विशेष महत्व है. बता दें कि माता सती के अंग जहां-जहां अंग गिरे वे शक्ति पीठ कहलाए और जहां रक्त गिरा वह रक्त शक्ति पीठ या अर्ध शक्ति पीठ कहलाए. देवास में माता सती का रक्त गिरा था, जिससे दो देवियों की उत्पत्ति हुई. दोनों देवियों के बीच बहन का रिश्ता है. दोनों देवी जगत में प्रसिद्ध हैं. देवास वाली माता के नाम से दोनों देवियों का श्रद्धालु पूजन करते हैं. मान्यताओं के अनुसार यहां देवी मां के दोनों स्वरूप जागृत अवस्था में हैं. इन दोनों स्वरूपों को छोटी मां और बड़ी मां के नाम से जाना जाता है. बड़ी माँ को तुलजा भवानी और छोटी मां को चामुण्डा देवी का स्वरूप माना गया है. उसके अलावा भी यहां पर 9 देवियों का वास है.
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क्या कहते हैं पुजारी?
देवास वाली माता मंदिर के पुजारी बताते हैं कि बड़ी मां और छोटी मां के मध्य बहन का रिश्ता है. किसी कारणवश दोनों बहनों की पीठ हो गयी. इससे क्षुब्द होकर दोनों माताएं अपना स्थान छोड़कर जाने लगीं. बड़ी मां पाताल में समाने लगीं और छोटी मां अपने स्थान से उठ खड़ी हो गईं और टेकरी छोड़कर जाने लगीं. कुपित देखकर माताओं के साथी (माना जाता है कि बजरंगबली माता का ध्वज लेकर आगे और भैरो बाबा मां का कवच बन दोनों माताओं के पीछे चलते हैं) हनुमानजी और भैरो बाबा ने उनसे क्रोध शांत कर रुकने की विनती की. इस समय तक बड़ी मां का आधा धड़ पाताल में समा चुका था, विनती के बाद वह वैसी ही स्थिति में टेकरी पर रुक गईं. छोटी माता भी टेकरी से नीचे उतर रही थीं. मार्ग अवरुद्ध होने से और भी कुपित हो गईं और जिस अवस्था में नीचे उतर रही थीं, उसी अवस्था में टेकरी पर रुक गईं. इस तरह आज भी माताएं अपने इन्हीं स्वरूपों में विराजमान हैं.
माता के जागृत स्वरूप
लोगों का मानना है कि माताओं की ये मूर्तियां स्वयंभू हैं और जागृत स्वरूप में हैं. सच्चे मन से यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है, हमेशा पूरी होती है. इसके साथ ही देवास के संबंध में एक और लोक मान्यता है कि यह पहला ऐसा शहर है, जहां दो वंश राज करते थे- पहला होलकर राजवंश और दूसरा पंवार राजवंश. बड़ी मां तुलजा भवानी होलकर वंश की कुलदेवी हैं और छोटी मां चामुंडा देवी पंवार वंश की कुलदेवी हैं. हर नवरात्रि में सप्तमी और अष्टमी को यहां पर हवन यज्ञ का आयोजन होता है, जिसमें दोनों राजवंश के लोग उपस्थित होते हैं. टेकरी में दर्शन करने वाले श्रद्धालु बड़ी और छोटी मां के साथ-साथ भैरो बाबा के दर्शन को अनिवार्य मानते हैं. नवरात्रि में माता की विशेष पूजा-अर्चना होती है.
3 रूप बदलने की कहानी
माता के विषय में किवदंतियां हैं कि यहां मां दिन में 3 रूप बदलती हैं. सुबह को बाल अवस्था, दोहपर को युवा वस्था और रात होते होते मां को वृद्धावस्था के रूप में देखा जा सकता है. जिला प्रशासन देवास में माता टेकरी के 9 दिन के नवरात्रि महोत्सव में विभिन्न आयोजन करवाता है. नवरात्रि में लाखों की संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने यहां पहुंचते हैं. मान्यताओं के अनुसार संतान न होने पर माता को 5 दिन तक पान का बीड़ा खिलाया जाता है. साथ ही उल्टा साथिया बनाने की यहां प्रथाएं हैं. मान्यता पूरी होने पर साथिया सीधा किया जाता है.
कैसे पहुंचे देवास वाली माता?
यहां आने के लिए निकटतम हवाई अड्डा इंदौर में स्थित है. साथ ही भोपाल से मात्र 3 घंटे का रास्ता है. इसके अलावा देवास शहर राष्ट्रीय राजमार्ग आगरा-मुंबई से जुड़ा हुआ है. यह मार्ग माता की टेकरी के नीचे से ही गुजरता है. इसके निकटतम शहर इंदौर और उज्जैन हैं. इंदौर और उज्जैन से आप बस या टैक्सी लेकर देवास पहुंच सकते हैं. ट्रेन से भी देवास पहुंचा जा सकता है.
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