रिपोर्ट- हरिकेश द्विवेदी
धार. धार जिले के पीथमपुर में इन दिनों बढ़ते उद्योगों को साथ ही आबादी भी काफी तेजी से बढ़ रही है . शहर में दूर दराज के राज्यों से प्रवासियों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. बढ़ती आबादी के बीच संसाधनों की पूर्ति भी एक बड़ा सवाल बनकर खड़ी हो जाती हैं. वैसे तो 1980 से लेकर अब तक पीथमपुर की लाखों आबादी और उद्योगों की जलापूर्ति संजय जलाशय तालाब ही करता आया है लेकिन हर वर्ष बारिश के मौसम में भरने वाला तालाब गर्मी आने के पहले ही दम तोड़ देता हैं.
बताया जाता है कि 1980 में अग्रेड नदी का रास्ता रोककर यहां के रहवासियों ने इस तालाब का निर्माण किया था उस वक्त पीथमपुर एक छोटा गांव हुआ करता था. बताया जाता है की अग्रेड नदी का आस्तित्व इसी तालाब में आकर मिल गया था. गौरतलब है की तब से अब तक पीथमपुर शहर इसी जलाशय के भरोसे अपनी प्यास बुझाता रहा हैं.
बदलते वक्त के साथ जहां पीथमपुर में उद्योगों ने जगह ली तो वही जनसंख्या भी आज लगभग 3 लाख के आसपास हो चली है. जल की पूर्ति एक जलाशय से संभव नही है और तब तो बिलकुल नहीं जब तालाब का गहरीकरण एक लंबे वक्त से लंबित हो. तालाब के जल स्तर को बरकरार रखने के लिए तलाब का गहरीकरण बेहद जरूरी है लेकिन पीथमपुर नगरीय प्रशासन , जिला प्रशासन एवं जल संसाधन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहा हैं. हाल फिलहाल बारिश का पानी इस तालाब को लबालब भरे हुए है लेकिन जल स्तर भी तेजी से गिरता दिखाई दे रहा हैं.
पीथमपुर क्षेत्र के लिए संजय जलाशय एक धरोहर
पीथमपुर क्षेत्र के लिए संजय जलाशय एक धरोहर भी रही है क्योंकि हर वर्ष पूर्वांचल वासी छट के पर्व यहां बड़ी धूमधाम से मनाते आए है. लाखों श्रद्धालुओं से जलाशय भरा होता है पूजा पाठ , आतिशबाजी भी जारी रहती हैं. वही पास में ही बजरंगबली का प्राचीन मंदिर है लिहाजा श्रद्धालुओं की भीड़ आय दिन यहां लगी होती है. हालांकि अवकाश के कारण मुख्य नगरपालिका अधिकारी से इस विषय में कोई चर्चा नहीं हो सकी. विधायक प्रतिनिधि संजय वैष्णव ने बताया की जलाशय पर घाट का निर्माण जारी है आगे भी जल संग्रह हेतु सभी उपयोगी कार्य किए जायेंगे.
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