रिपोर्ट-विजय तिवारी
डिंडौरी. ऐसे समय में जब हर तरफ सड़क, बस्ती, रेल लाइन, पावर प्रोजेक्ट और विकास के नाम पर तमाम कार्यों के लिए हरे भरे पेड़ काटे जा रहे हैं, मंडला जिले का एक छोटा सा गांव सबकी आंखें खोल सकता है. यहां गांव वालों ने पिछले करीब 30 साल से जंगल बचाने की मुहिम छेड़ रखी है. वो खुद पहरेदारी करते हैं. अगर कोई पेड़ काटता है तो उस पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जाता है. जंगल की उपज से जो आय होती है उसे गांव के विकास पर ही खर्च किया जाता है.
30 साल का समर्पण
डिंडौरी जिले के पड़रिया डोंगरी गांव के ग्रामीण पर्यावरण संरक्षण के लिए मिसाल हैं. पिछले तीस साल से यहां के लोगों ने जंगल बचाने की मुहिम छेड़ रखी है. गांव की सीमा पर करीब 40 एकड़ भूमि में लगे हजारों पेड़ों की पहरेदारी ग्रामीण खुद करते हैं और पेड़ काटने वाले व्यक्ति पर प्रत्येक पेड़ के हिसाब से 10 हजार रूपये का फाइन भी ठोकते हैं. इस जंगल से ग्रामीण अबतक करीब 12 लाख रूपये कमा चुके हैं और कमाये हुए पैसे गांव के विकास और जरूरतमंद लोगों की मदद में खर्च करते हैं. जंगल की देखरेख के लिए गांव में बाकायदा वन समिति बनी हुई है.
ठूंठ से भरे मैदान की जगह अब है जंगल
बजाग विकासखंड का पड़रिया डोंगरी गांव के बाहर दो गांवों की सरहद पर 40 एकड़ में हजारों की तादाद में फलदार, इमारती और औषधीय पेड़ पौधे लगे हुए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में जंगल को डोंगर या डोंगरी कहते हैं. लिहाजा गांव को पड़रिया डोंगरी के नाम से जाना जाता है. गांव के लोग बताते हैं कि वर्ष 1994 में यहां चारों तरफ सिर्फ कटे हुए पेड़ों के ठूंठ नजर आते थे. तब सबने फैसला किया कि इस जगह को हरे भरे जंगल में तब्दील किया जाएगा. बस ये फैसला होते ही पूरा गांव शिद्दत के साथ इस नेक काम में जुट गया. पहले यहां पौधे लगाए गए. फिर ग्रामीणों ने बारी बारी से उनकी देखरेख और पहरेदारी शुरू कर दी. तब कहीं जाकर सालों बाद ये जंगल तैयार हो पाया.
पेड़ काटा तो 10 हजार रुपये जुर्माना
ग्रामीणों ने बताया पहले पेड़ काटने वाले व्यक्ति को 5 हजार जुर्माने से दंडित किया जाता था जिसे बढ़ाकर अब 10 हजार रुपये कर दिया गया है. ग्रामीण जंगल की देखभाल करने के साथ वानिकी का काम भी करते हैं. इससे होने वाली कमाई को गांव के विकास और जरूरतमंदों की मदद में खर्च किया जाता है. ग्रामीणों का कहना है जंगल के कारण उनके गांव में गर्मी कम पड़ती है. ठंडक रहती है और अच्छी वर्षा होती है. इससे खेती में फायदा मिलता है. साथ ही गांव का वातावरण भी शुद्ध रहता है.
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ग़ज़ब का समर्पण
जंगल के प्रति गांव वालों का समर्पण देखकर ग्राम पंचायत के सचिव हैरान भी हैं और खुश भी. उन्होंने मुहिम की तारीफ़ की. सचिव का कहना है इस गांव के लोगों से आसपास के गांव वालों को सबक लेना चाहिए और पर्यावरण बचाने के लिए ऐसी पहल करना चाहिए.
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