फीस नहीं भर पाए पिता, तो स्कूल ने छात्र को नहीं देने दी परीक्षा

पीड़ित छात्र के साथ उसके पिता
गरीबी रेखा कार्ड योजना के तहत यश की फीस माफ करने की बात कर अब स्कूल प्रबंधन परीक्षा के दिन एक साल की फीस 18 हजार रुपये की मांग कर रहा है और फीस नहीं देने पर यश को परीक्षा के दिन स्कूल से भगा दिया.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: March 7, 2019, 2:33 PM IST
मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले के शहपुरा नगर में एक निजी स्कूल की मनमानी का मामला सामने आया है. फीस नहीं भरने के कारण स्कूल प्रबंधन ने छात्र को परीक्षा में बैठने से वंचित कर दिया, जिसके कारण छात्र सदमे में हैं, तो वहीं छात्र के गरीब पिता ने तहसीलदार से मदद की गुहार लगाई है. तहसीलदार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए स्कूल प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा दिया है.
पीड़ित छात्र के पिता विमल कुशवाहा के चार बच्चे हैं और ये सभी बच्चे निजी स्कूल में अध्यनरत हैं. स्कूल के तत्कालीन प्राचार्य गरीबी रेखा के तहत यश कुशवाहा की फीस माफ करने की बात कही थी, जिसके कारण उसके पिता ने एक साल से फीस जमा नहीं करवाई थी, लेकिन प्राचार्य के स्थानांतरण के बाद अब स्कूल प्रबंधन मनमानी पर उतारू हो गया है.
छात्र के पिता विमल कुशवाहा ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि वे चार में से तीन बच्चों की पूरी फीस समय पपर भरते आ रहे हैं. गरीबी रेखा कार्ड योजना के तहत यश की फीस माफ करने की बात कर अब स्कूल प्रबंधन परीक्षा के दिन एक साल की फीस 18 हजार रुपये की मांग कर रहा है और फीस नहीं देने पर यश को परीक्षा के दिन स्कूल से भगा दिया. यश के पिता चाय की दुकान चलाकर किसी तरह अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. उन्होंने स्कूल प्रबंधन से यश को परीक्षा में बैठाए जाने की खूब मिन्नते की और स्कूल के प्राचार्य से फीस भरने के लिए समय मांगा है.
छात्र के पिता ने विकासखंड शिक्षाधिकारी से लेकर तहसीलदार तक मदद की गुहार लगाते हुए प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. गरीबी के कारण कोई शिक्षा से वंचित न रह जाए, जिसके लिए शासन ने निशुल्क शिक्षा एवं शिक्षा के अधिकार जैसे कड़े कानून बनाये हैं, लेकिन निजी स्कूल संचालक सभी नियम कायदों को ताक में रखकर मनमानी करने पर उतारू है और जवाबदार शिक्षा विभाग के अधिकारी सबकुछ जानते हुए मूकदर्शन बने तमाशा देख रहे हैं.यह भी पढ़ें- 8वीं बोर्ड: पेपर था गणित का और पहुंच गया सामाजिक विज्ञान का...बच्चे करते रहे इंतजार
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पीड़ित छात्र के पिता विमल कुशवाहा के चार बच्चे हैं और ये सभी बच्चे निजी स्कूल में अध्यनरत हैं. स्कूल के तत्कालीन प्राचार्य गरीबी रेखा के तहत यश कुशवाहा की फीस माफ करने की बात कही थी, जिसके कारण उसके पिता ने एक साल से फीस जमा नहीं करवाई थी, लेकिन प्राचार्य के स्थानांतरण के बाद अब स्कूल प्रबंधन मनमानी पर उतारू हो गया है.
छात्र के पिता विमल कुशवाहा ने मामले की जानकारी देते हुए बताया कि वे चार में से तीन बच्चों की पूरी फीस समय पपर भरते आ रहे हैं. गरीबी रेखा कार्ड योजना के तहत यश की फीस माफ करने की बात कर अब स्कूल प्रबंधन परीक्षा के दिन एक साल की फीस 18 हजार रुपये की मांग कर रहा है और फीस नहीं देने पर यश को परीक्षा के दिन स्कूल से भगा दिया. यश के पिता चाय की दुकान चलाकर किसी तरह अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. उन्होंने स्कूल प्रबंधन से यश को परीक्षा में बैठाए जाने की खूब मिन्नते की और स्कूल के प्राचार्य से फीस भरने के लिए समय मांगा है.
छात्र के पिता ने विकासखंड शिक्षाधिकारी से लेकर तहसीलदार तक मदद की गुहार लगाते हुए प्राचार्य के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है. गरीबी के कारण कोई शिक्षा से वंचित न रह जाए, जिसके लिए शासन ने निशुल्क शिक्षा एवं शिक्षा के अधिकार जैसे कड़े कानून बनाये हैं, लेकिन निजी स्कूल संचालक सभी नियम कायदों को ताक में रखकर मनमानी करने पर उतारू है और जवाबदार शिक्षा विभाग के अधिकारी सबकुछ जानते हुए मूकदर्शन बने तमाशा देख रहे हैं.यह भी पढ़ें- 8वीं बोर्ड: पेपर था गणित का और पहुंच गया सामाजिक विज्ञान का...बच्चे करते रहे इंतजार
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