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Navratri 2023: बीसभुजा माता मंदिर की अनोखी महिमा, मूर्ति दिन में तीन बार बदलती है रूप

Chaitra Navratri 2023: गुना जिले से लगभग 8 किमी दूर बजरंगगढ़ की ऊंची पहाड़ी पर बीस भुजा देवी का मंदिर है.

Chaitra Navratri 2023: गुना जिले से लगभग 8 किमी दूर बजरंगगढ़ की ऊंची पहाड़ी पर बीस भुजा देवी का मंदिर है.

Navratri News. गुना जिला मुख्यालय से 8 किमी दूर बजरंगगढ़ की ऊंची पहाड़ी पर बीस भुजा देवी का मंदिर है. पहाड़ों पर स्थित यह ...अधिक पढ़ें

गुना. आपने आज तक देवी के कई रूपों को देखा होगा और उनके बारे में सुना भी होगा. लेकिन क्या कभी एक ही मूर्ति में माता रानी के रूप बदलते देखे हैं. गुना जिले में माता रानी के इस मंदिर की अनोखी महिमा है. यहां देवी की प्रतिमा में दिनभर में माता के तीन अलग-अलग रूप दिखाई देते हैं. यहां चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र में नौ दिन तक माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं.

गुना जिले से लगभग 8 किमी दूर बजरंगगढ़ की ऊंची पहाड़ी पर बीस भुजा देवी का सुंदर मंदिर बना हुआ है. पहाड़ों पर विराजी मां बीसभुजा देवी मंदिर में नवरात्र के नौ दिनों तक माता की विशेष पूजा अर्चना होगी. उनके दरबार में सैकड़ों भक्तों का जमघट लगेगा. मां बीसभुजा की महिमा है कि वह भक्तों को तीन रूप में दर्शन देती हैं. वे सुबह कन्या, दोपहर में युवा और संध्या के समय प्रौढ़ (वृद्धा) के रूप में नजर आती हैं.


अति प्राचीन है यह मंदिर

शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र में पड़ने वाले दुर्गा अष्टमी के दौरान इस मंदिर में परंपरागत धार्मिक संस्कार और मेले का आयोजन किया जाता है. मंदिर परिसर में लगने वाला यह मेला 9 दिन तक चलता है. इतना ही नहीं साल के इस समय में यहां विशेष पूजा और अभिषेक का आयोजन भी किया जाता है. दुर्गा अष्टमी के मौके पर आयोजित होने वाले इस मेले के दौरान यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. श्रृद्धालुओं का कहना है मां बीसभुजा देवी मंदिर अति प्राचीन है. इस मंदिर की किसी ने स्थापना नहीं की है. सैकड़ों वर्ष पहले बांस के वृक्षों से देवी की प्रतिमा प्रकट हुई. यह मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी की चोटी पर बना है.

बेहद सुंदर स्थान पर बना है माता रानी का मंदिर
इस मंदिर में दुर्गा की 20 हाथों वाली प्रतिमा स्थापित है. यहां तीन विशाल दीप स्तंभ हैं, जिन पर नवरात्रियों के समय सैकड़ों दीपक जलाए जाते हैं. दूर से यह दीप स्तंभ बेहद खूबसूरत दिखाई देते हैं. मंदिर के चारों ओर छोटी-छोटी और भी पहाड़ियां हैं. जिससे यह स्थान बारिश के मौसम में बेहद खूबसूरत लगने लगता है. मंदिर के थोड़ी ही दूर से गुजरती हुई नदी इस स्थल को और भी सुन्दर बना देती है. पहले मां बीस भुजा देवी एक छोटे से मंदिर में स्थापित थीं. फिर धीरे-धीरे जीर्णोद्वार करते हुए भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया. सिद्धदेवी स्थल के समीप ही हनुमान मंदिर है, इस कारण यह तपोस्थली भी है. यहां कई संतों ने तपस्या की है. मान्यता है कि प्रसिद्ध बीसभुजा देवी मंदिर की प्रसिद्धि के कारण कई भक्त अपनी अनेक मनोकामनाएं लेकर आते हैं. उनकी प्रार्थना मां पूरी करती हैं.

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