रिपोर्ट : विजय राठौड़
ग्वालियर. शहर के कंपू क्षेत्र में स्थित 70 साल पुरानी एसएस कचौड़ी वाले की दुकान अपनी कचौड़ी के बेहतरीन स्वाद को लेकर बहुत मशहूर है.यहां बनने वाली कचौड़ी खड़ी मूंग की दाल को भर कर तैयार की जाती है. जोकि खाने में स्वादिष्ट एवं खस्ता होती है.जिसका स्वाद लेने के लिए शहर ही नहीं बल्कि शहर के बाहर से भी लोग आते हैं.बताया जाता है कि सिंधिया घराने के तत्कालीन मुखिया स्व. माधवराव सिंधिया भी यहां की कचौड़ी के दीवाने थे. कई बार कचौड़ी खाने के लिए खुद दुकान पर आते थे.
दुकान के संचालक हितेश भार्गव ने बताया कि लगभग 70 वर्ष पूर्व उनके दादा रामचरण लाल शर्मा और दादी लक्ष्मीदेवी द्वारा एक छोटे से तख्त पर इस दुकान की शुरुआत की गई थी. उन्होंने बताया कि उनके दादा ने इस दुकान का नाम अपने बेटे और उनके पिता रामस्वरूप शर्मा के नाम पर आरएसएस कचौड़ी वाला रखा था. जो की एक सक्रिय कांग्रेसी कार्यकर्ता भी थे.एक बार जब माधवराव सिंधिया उनकी दुकान पर कचौड़ी खाने के लिए आए तो उन्होंने इनकी दुकान का नाम पढ़कर बोले कि तुम तो कांग्रेसी नेता हो लेकिन दुकान का नाम तुमने आरएसएस क्यों रखा हुआ है.तुम्हें इसका नाम बदलना चाहिए. तो पिताजी ने भी इस बात पर गौर किया और अपने आरएसएस में से आर को हटा दिया. केवल एसएस कचौड़ी वाला रहने दिया.यह नाम आज ग्वालियर में एक अलग पहचान बना चुका है.
आखिर क्या है इस खास कचौड़ी का राज
ग्वालियर के एसएस कचौड़ी वाले की कचौड़ी इतनी फेमस है कि इसको खाने वाला इसकी तारीफ किए बिना खुद को नहीं रोक पाता.दुकान संचालक हीतेश भार्गव ने जानकारी देते हुए बताया कि यहां केवल उतना ही माल तैयार किया जाता है, जितना कि बिक सके. रोजाना सुबह 4:00 बजे से ही दुकान का शटर खुल जाता है. और काम शुरू हो जाता है. कचौड़ी में वह खड़े मूंग की दाल डालते है. जबकि अन्य कचौड़ी बनाने वाले दाल को खड़ा नहीं डालते है. इसके अलावा उनके खुद के पांच गोपनीय मसाले है, जिनको वह अपनी देखरेख में तैयार कराते है. कचौड़ी के मिक्सर में डालते है. आखिर में कचौड़ी के ऊपर की पपड़ी को मैदे से काफी स्वादिष्ट बनाया जाता है.
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