होम /न्यूज /मध्य प्रदेश /ग्वालियर के इस मंदिर में मिलती है बच्चों को सूखे रोग से मुक्ति! अद्भुत है त्रिशला माता की महिमा  

ग्वालियर के इस मंदिर में मिलती है बच्चों को सूखे रोग से मुक्ति! अद्भुत है त्रिशला माता की महिमा  

X
भगवान

भगवान महावीर की माता का है यह मंदिर जहां दिखाए गए हैं भगवान के पंचकल्याण

Gwalior News: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक ऐसा मंदिर है, जो त्रिशला माता मंदिर के नाम से जाना जाता है. त्रिशला माता क ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: विजय राठौड़

ग्वालियर: ग्वालियर दुर्ग की तलहटी में उरवाई गेट से प्रवेश करते ही एक मंदिर में निद्रासन मुद्रा में एक प्रतिमा दिखाई देती है. यह प्रतिमा भगवान महावीर की माता त्रिशला माता की बताई जाती है. जहां जैन धर्म के साथ-साथ सभी धर्मों के लोग बड़ी ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मां के दर्शनों के लिए आते हैं. यह प्रतिमा आठवीं से 15वीं शताब्दी के मध्य की बताई जाती है.

इस प्रतिमा में भगवान महावीर की गाथा का बखान किया गया है. मंदिर के कार्याध्यक्ष प्रदीप कुमार जैन ने बताया कि मुख्यत: यह भगवान महावीर की माता का स्थान है और विश्व में ऐसी प्रतिमा कहीं भी नहीं है. 12 फीट लंबी इस प्रतिमा की छटा आकर्षक है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं.

ये है मान्यता
प्रदीप कुमार ने बताया कि इन्हें बुमरा वाली माता भी कहा जाता है, जिनके आशीर्वाद से बच्चों में होने वाला सूखा रोग ठीक हो जाता है. बताया कि ऐसी मान्यता है कि यदि कोई बच्चा सूखा रोग से पीड़ित है अथवा किसी मां का दूध नहीं उतरता, कोई निसंतान है अथवा अन्य संतान संबंधी कोई समस्या है तो रविवार के दिन यहां पर माता के दर्शन करने से व पूजा पाठ करने से समस्याएं दूर हो जाती हैं. कई लोग यहां पर इस प्रकार का चमत्कार देख चुके हैं.

बच्चों को कराया जाता है स्नान
प्रदीप कुमार ने बताया कि यदि बच्चों में इस प्रकार की बीमारी होती है तो यहां पर भगवान महावीर की माता की प्रतिमा के समक्ष बच्चों को स्नान कराकर उनके कपड़ों को फेंक देने का रिवाज है. फिर बच्चों को नए वस्त्र धारण कराकर उन्हें ले जाते हैं. दावा किया कि धीरे-धीरे उस बच्चे की बीमारी भी ठीक हो जाती है.

दुनिया में इकलौता मंदिर
मंदिर के वरिष्ठ कोषाध्यक्ष पवन जैन ने बताया कि यहां भगवान महावीर स्वामी के गर्भ काल से लेकर मोक्ष तक का वर्णन 5 मूर्तियों के माध्यम से किया गया है. बताया कि यहां माता त्रिशला गर्भधारण काल में लेटी हुई हैं. पूरे विश्व में यह एकमात्र ऐसा स्थान है, जो ग्वालियर के त्रिशला गिरि पर्वत पर है. यहां माता की विशाल मूर्ति बनी हुई है, जिसमें माता को शयन मुद्रा में दिखाया गया है. उनके पास अन्य देवियां बैठी हैं. इसके बाद दूसरी मूर्ति भगवान महावीर स्वामी की है, जहां भगवान महावीर अपनी माता त्रिशला की गोद में बैठे हैं. इंद्र भगवान महावीर स्वामी के सुमेरु पर्वत पर ले जाकर वहां उनका अभिषेक करते हैं.

महावीर जयंती पर होते हैं आयोजन
तीसरी मूर्ति में भगवान महावीर स्वामी को तपस्या करते हुए दर्शाया गया है, जहां भगवान को ज्ञान प्राप्त होता है. इसके अलावा चौथी मूर्ति में भगवान महावीर स्वामी को ज्ञान का उपयोग लोगों के कल्याण के लिए करते हुए दर्शाया गया है. वहीं पांचवी मूर्ति थोड़ी दूरी पर है, जिसमें भगवान को मोक्ष स्वरूप का वर्णन किया गया है. पवन जैन ने बताया कि सन 1982 से ट्रस्ट का गठन कर इस मंदिर का देखरेख का कार्य किया जा रहा है. साथ ही भगवान महावीर की जयंती और निर्वाण दोनों पर ही यहां पर विशेष आयोजन व पूजा पाठ किया जाता है.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

Tags: Gwalior news, Mp news

टॉप स्टोरीज
अधिक पढ़ें