Gwalior : इस स्कूल में छात्र अटल बिहारी का हाजिरी नंबर था 101, यानि सौ फीसदी से भी एक ज़्यादा!

ग्वालियर के गोरखी स्कूल में अटलजी मिडिल स्कूल तक पढ़े.
ये स्कूल आज किसी राष्ट्रीय धरोहर की तरह है, अटल जी भले ही आज दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका स्कूल, शिक्षक और बच्चे आज भी गोरखी स्कूल के जर्रे-जर्रे में अटल जी को महसूस करते हैं.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: December 25, 2020, 1:04 PM IST
ग्वालियर.ग्वालियर (Gwalior) की गलियों में पले बढ़े एक लाल ने पूरी दुनिया में नाम कर दिया. अपने तो अपने, विरोधी भी जिनके मुरीद हुए. ऐसे अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) को याद कर ग्वालियर का हर शख्स खुद को गौरवान्वित महसूस करता है. इतना ही नहीं अटलजी जिस गोरखी स्कूल में पढ़े उस स्कूल के शिक्षक आज भी बच्चों के सामने नज़ीर पेश करते हैं. वो बच्चों से कहते हैं-पढ़ोगे लिखोगे तो अटल जी जैसे बनोगे.
ये स्कूल आज किसी राष्ट्रीय धरोहर की तरह है, अटल जी भले ही आज दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका स्कूल, शिक्षक और बच्चे आज भी गोरखी स्कूल के जर्रे-जर्रे में अटल जी को महसूस करते हैं.
उपस्थिति नंबर 101 यानि 100 फीसदी से भी ज़्यादा
ग्वालियर का ये वही गोरखी स्कूल है जहां कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पढ़ा करते थे. स्कूल का हर कमरा, खेल का मैदान, अहाते सबमें मानों अटल जी की यादें बसी हैं. दीवारों पर बाकायदा अटलजी का नाम लिखा है. अटल बिहारी वाजपेयी ने इसी स्कूल से मिडिल तक की शिक्षा हासिल की थी. खास बात ये भी है कि 1935-37 में जब अटल जी इस स्कूल में छात्र थे तब उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी इस स्कूल में शिक्षक थे. स्कूल में आज भी उस रजिस्टर को सहेज कर रखा गया है जिसमें कभी अटल जी की उपस्थिति दर्ज हुआ करती थी. तब अटल जी का रजिस्टर में नंबर उपस्थिति नंबर 101 था. यानि सौ फीसदी से भी एक ज्यादा. इस स्कूल को देखकर हर किसी को फक्र होता है कि यहां कभी अटल जी पढ़ा करते थे. शिक्षक भी मानते हैं कि ये स्कूल अटल जी की यादों की धरोहर है.गोरखी की गौरव गाथा
अटल जी के गोरखी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी उनके आदर्शों को याद करते हैं. शिक्षको का कहना है उनके लिए गौरव की बात है कि जिस स्कूल में अटल जी छात्र के रूप में पढ़े हैं उस स्कूल में शिक्षा देने का सौभाग्य मिल रहा है. यहां पढ़ने वाले बच्चे भी अपने को खुशकिस्मत मानते हैं. बच्चों का कहना है अटल जी की तरह ही समाज और देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिलती है.

वर्ल्ड क्लास स्कूल बनेगा
गोरखी स्कूल का चयमन ईफा (EAFA- एज्युकेशन फॉर ऑल) के तहत हुआ है. जिसे प्रदेश सरकार वर्ल्ड क्लास स्कूल बनाएगी.तीन साल के प्रोजेक्ट के तहत स्कूल को पूरी तरह टैक्नोलॉजी और डिजिटल स्वरूप में बदला जाएगा. इससे यहां पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिलेगी. अटल जी की स्मृतियों के रूप में ये स्कूल आने वाली पीढ़ियों को आदर्श का पाठ पढ़ाता रहेगा.
ये स्कूल आज किसी राष्ट्रीय धरोहर की तरह है, अटल जी भले ही आज दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनका स्कूल, शिक्षक और बच्चे आज भी गोरखी स्कूल के जर्रे-जर्रे में अटल जी को महसूस करते हैं.
उपस्थिति नंबर 101 यानि 100 फीसदी से भी ज़्यादा
ग्वालियर का ये वही गोरखी स्कूल है जहां कभी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पढ़ा करते थे. स्कूल का हर कमरा, खेल का मैदान, अहाते सबमें मानों अटल जी की यादें बसी हैं. दीवारों पर बाकायदा अटलजी का नाम लिखा है. अटल बिहारी वाजपेयी ने इसी स्कूल से मिडिल तक की शिक्षा हासिल की थी. खास बात ये भी है कि 1935-37 में जब अटल जी इस स्कूल में छात्र थे तब उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी इस स्कूल में शिक्षक थे. स्कूल में आज भी उस रजिस्टर को सहेज कर रखा गया है जिसमें कभी अटल जी की उपस्थिति दर्ज हुआ करती थी. तब अटल जी का रजिस्टर में नंबर उपस्थिति नंबर 101 था. यानि सौ फीसदी से भी एक ज्यादा. इस स्कूल को देखकर हर किसी को फक्र होता है कि यहां कभी अटल जी पढ़ा करते थे. शिक्षक भी मानते हैं कि ये स्कूल अटल जी की यादों की धरोहर है.गोरखी की गौरव गाथा
अटल जी के गोरखी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक भी उनके आदर्शों को याद करते हैं. शिक्षको का कहना है उनके लिए गौरव की बात है कि जिस स्कूल में अटल जी छात्र के रूप में पढ़े हैं उस स्कूल में शिक्षा देने का सौभाग्य मिल रहा है. यहां पढ़ने वाले बच्चे भी अपने को खुशकिस्मत मानते हैं. बच्चों का कहना है अटल जी की तरह ही समाज और देश के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिलती है.
वर्ल्ड क्लास स्कूल बनेगा
गोरखी स्कूल का चयमन ईफा (EAFA- एज्युकेशन फॉर ऑल) के तहत हुआ है. जिसे प्रदेश सरकार वर्ल्ड क्लास स्कूल बनाएगी.तीन साल के प्रोजेक्ट के तहत स्कूल को पूरी तरह टैक्नोलॉजी और डिजिटल स्वरूप में बदला जाएगा. इससे यहां पढ़ने वाले बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिलेगी. अटल जी की स्मृतियों के रूप में ये स्कूल आने वाली पीढ़ियों को आदर्श का पाठ पढ़ाता रहेगा.