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Gwalior News: दृष्टिबाधित भक्तों ने लगाया ईश्वर में मन, दो सालों से गा-बजा रहे राम धुन

ग्वालियर के एक मंदिर में दृष्टिबाधित भक्त लगातार दो वर्षों से राम धुन का अखंड जाप कर रहे हैं. ये लोग सिर्फ गाते ही नहीं ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: विजय राठौड़
ग्वालियर: जिस पर ईश्वर की कृपा हो, उसे फिर सहारा ढूंढना नहीं पड़ता. कुछ ऐसा ही इन दस दृष्टिबाधित भक्तों के साथ भी है. लक्ष्मी बाई कॉलोनी में स्थित गंगा दास की बड़ी शाला आश्रम में 10 दृष्टिबाधित दिव्यांग रोज शाम को आपको भगवान की आरती उतारते दिख जाएंगे. इन दिव्यांग भक्तों की देखरेख में यहां दो सालों से राम धुन निरंतर गाई और बजाई जा रही है. इन दिव्यांग भक्तों की वजह से एक भी क्षण के लिए यहां राम धुन नहीं रुकती.

आश्रम में हर शाम को एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है. जहां दृष्टिबाधित भक्त भगवान की आरती उतारते हैं, वहीं उसके बाद संपूर्ण मंदिर की परिक्रमा भी एक दूसरे का हाथ पकड़कर करते हैं. इसे देखकर यहां आने वाले लोग भी भावविभोर हो जाते हैं. इन नेत्रहीन दिव्यांगों द्वारा मंदिर में अखंड राम धुन का जाप किया जा रहा है, जो कि कोविड-19 के दौरान शुरू किया गया था. राम धुन के दौरान ये दिव्यांग भक्त वाद्ययंत्रों द्वारा सुंदर संगीत भी बजाते हैं.

दृष्टिबाधितों की भजन मंडली, कोविड में हो गए थे बेसहारा
मंदिर के महंत महाराज रामसेवक दास जी ने बताया कि यह एक भजन मंडली है, जो कि भजन-कीर्तन, सुंदरकांड आदि कर अपना गुजारा करती है. लेकिन, कोविड के दौरान इस प्रकार के सभी क्रियाकलाप बंद हो जाने से ये दृष्टिबाधित भक्त बेसहारा हो गए थे. एक दिन ये सभी आश्रम में आ गए और यहां आकर अपनी व्यथा बताई. क्योंकि ये लोग पूर्व में भी मंदिर में कार्यक्रम कर चुके थे, इसी तारतम्यता को बनाए रहने के लिए इनके यहीं रहने की व्यवस्था की गई. अब यहां के संत और गुरुजन इनकी देखरेख करते हैं. बताया कि 2 वर्षों से लगातार ये लोग यहीं राम धुन गा और बजा रहे हैं.

24 घंटे चलता है भगवान के नाम जाप
राम धुन का निरंतर जाप करने वाले समूह के एक व्यक्ति राम कुमार बंसल ने बताया कि वह कोविड के दौरान अपने समूह के साथ इस आश्रम में आए थे और तब से यहां पर रामधुन की अखंड धारा को प्रवाहित कर रहे हैं. बताया कि उनके समूह में लगभग 15 लोग हैं, जिसमें 10 लोग आश्रम में रहकर निरंतर 2-2 घंटे की शिफ्ट से राम धुन का जाप करते हैं. वहीं, पांच अन्य लोग समय-समय पर आते-जाते रहते हैं और भजनों का गायन करते हैं. उन्होंने बताया कि उनके समूह में सभी लोग वर्तमान में भी अध्ययनरत हैं. कोई एमए तो कोई बीए कर रहा है. उन्होंने बचपन से ही ब्रेल लिपि के माध्यम से पढ़ाई की है.

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