रिपोर्ट : विजय राठौड़
ग्वालियर. शहर की लाल टिपारा गोशाला में ‘सतत से समृद्धि की ओर’ थीम पर ग्रामीण पर्यटन उत्सव का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम के दौरान पूरे परिसर को ग्रामीण शैली में सजाया गया. विभिन्न शिक्षण संस्थानों द्वारा ग्रामीण जीवन पर प्रदर्शनी लगाई गई. कार्यक्रम में शामिल होने मुंबई से आई असिस्टेंट टूरिज्म मैनेजर कार्तिका भारतीय कृष्णन ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से गांव को भी एक पर्यटन स्थल के रूप में दर्शाया गया है. उन्होंने कार्यक्रम को अच्छे से संपन्न कराने के लिए विभिन्न शिक्षण संस्थानों व आदर्श गोशाला प्रबंधन की भी तारीफ की.
कार्यक्रम का उद्देश्य बताते हुए गोशाला के संत ऋषभ देव महाराज ने बताया कि कोरोना काल के दौरान हम सभी आवश्यकता पड़ने पर अपने-अपने गांव चले गए थे. जैसे ही करोना खत्म हुआ, फिर से गांव को उसी हाल में छोड़ कर वापस आ गए. जबकि, कोरोना के जरिए हमें यह सीख मिली कि हमारा मूल आधार गांव ही है, जिसे हम भूलते जा रहे हैं. बस उसी याद को दोहराने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. बताया कि जिस तरह शहर में दर्शनीय व पर्यटन स्थल हैं, उसी तरह विभिन्न गांव भी पर्यटन स्थल हो सकते हैं.
संत ऋषभ देव ने बताया कि जितने भी बड़े-बड़े संत महात्मा हुए हैं, वे कहीं न कहीं गांव से जुड़े रहे हैं. उनकी आधारशिला गांव ही रही है. इसलिए हमें नहीं भूलना चाहिए कि हमारा आधार गांव है और हमें उसे जितना अधिक हो सके आगे बढ़ाना चाहिए. साथ ही, हमें अपने बच्चों को भी समय-समय पर गांव ले जाते रहना चाहिए, ताकि वह भी गांव के महत्व को समझ सकें.
कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शित की गई झांकियों में वैदिक काल को दर्शाया गया. साथ ही भगवान महाकाल को भी दिखाया गया. इतना ही नहीं, यहां पर शुद्ध और बिना केमिकल के बनी विभिन्न खाद्य सामग्रियों को भी प्रदर्शित किया गया. इस दौरान ग्रामवासी, कृषक, कृषि परंपरा, लोकजीवन, वैदिक चिकित्सा पद्धति, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रीय भोजन आदि का भी प्रचार-प्रसार किया गया, ताकि लोग इसे अपनाएं और अपनी दिनचर्या में लाएं और स्वस्थ रहें.
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