निहारिका कौरव और प्रियांक भदौरिया का श्रीलंका में दिखा दम.
रिपोर्ट: विजय राठौड़
ग्वालियर. भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका के कोलंबो शहर में आयोजित कराटे चैंपियनशिप में ग्वालियर के दो खिलाड़ियों ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए दो गोल्ड मेडल हासिल कर देश का परचम लहराया है. दोनों ही खिलाड़ियों की जीत पर उनके साथियों और परिवार ने हर्ष जताया है. इसके साथ ही कराटे एसोसिएशन ऑफ ग्वालियर के अध्यक्ष केशव पांडेय ने भी दोनों खिलाड़ियों को बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की भी कामना करते हुए कहा कि दोनों ही खिलाड़ी बहुत ही मेहनती हैं. साथ ही कहा कि इनके कोच द्वारा जो मेहनत इन पर की गई थी, वह रंग लाई, जो कि हम सबके लिए गर्व की बात है.
आपको बता दें कि इस प्रतियोगिता का आयोजन कोलंबो में किया गया था, जिसमें आयरन गर्ल निहारिका ने सीनियर वर्ग में श्रीलंका की कपिला रत्ना को फाइनल में हराकर गोल्ड मेडल नाम किया, तो वहीं ग्वालियर के प्रियांक भदौरिया ने बांग्लादेश के खिलाड़ी को 8/0 से हराकर फाइनल में स्थान बनाया और फाइनल में श्रीलंका के खिलाड़ी को 4/0 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया.
पहले भी जीत चुकी हैं कई पदक
निहारिका कौरव चंबल के भिंड जिले की रहने वाली हैं और ग्वालियर में रहकर पढ़ाई कर रही हैं. निहारिका साल 2011 में मध्य प्रदेश कराटे चैंपियनशिप का खिताब जीत चुकी है. इसके साथ ही कई इंटरनेशनल स्पर्धाओं में खेलकर भारत के लिए 5 गोल्ड मेडल भी ला चुकी हैं. वहीं हाल ही में लंदन में आयोजित कॉमनवेल्थ कराटे चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर भारत का नाम रोशन किया था.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीता पहला गोल्ड मेडल
पिंटू पार्क में रहने वाले प्रियांक भदोरिया पिछले 6 सालों से वर्ल्ड कराटे चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे हैं और अभी तक लगभग 20 गोल्ड मेडल ओपन नेशनल चैंपियनशिप के जरिए जीत चुके हैं. हाल ही में वे टर्की में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. उनके कोच राकेश गोस्वामी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह प्रियांक का पहला गोल्ड मेडल है.
परिवार में खुशी की लहर
दोनों ही खिलाड़ियों के श्रीलंका में देश का मान बढ़ाने पर खुशी की लहर है. निहारिका के पिता रामवीर कौरव अपनी बेटी की जीत पर काफी खुश हैं. उनका कहना है कि बेटियां किसी भी फील्ड में आज पीछे नहीं है. इस बात को मेरी बेटी साबित कर रही है, तो हमें अपनी बेटियों को आगे बढ़ाना चाहिए. वहीं प्रियांक के पिता का कहना है कि खुशी होती है जब बच्चे के नाम से पिता को जाना चाहता है. प्रियांक ने शुरू से ही यह गौरव मुझे प्रदान किया है. उसने केवल एक मेडल ही नहीं जीता है. बल्कि देश का मान भी बढ़ाया है.
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