रिपोर्ट : विजय राठौड़
ग्वालियर. मध्य प्रदेश का शहर ग्वालियर अपने ऐतिहासिक छवि के साथ ही धार्मिक महत्व भी रखता है.ग्वालियर में कई ऐसे मंदिर है जो ऐतिहासिक तो है ही साथ ही पुराणों में भी उनका महत्वपूर्ण उल्लेख मिलता है.इन्हीं में से एक है भगवान विष्णु के तृतीय अवतार वराह का मंदिर जो कि ग्वालियर के बहोड़ापुर क्षेत्र में स्थित है.बताया जाता है कि कई वर्षों पहले इस मंदिर का निर्माण किया गया था.इस मंदिर में भगवान वराह की मूर्ति की प्रतिदिन पूजा की जाती है.
मंदिर के पुजारी कैलाश नारायण भार्गव ने बताया कि यह मंदिर काफी प्राचीन है और उनका परिवार बीते 4 पीढ़ियों से मंदिर में पूजा पाठ करते चला आ रहा है.उन्होंने बताया कि इसका निर्माण भी लगभग लक्ष्मण तलैया के निर्माण के साथ ही कराया गया था. जिसे फाल्के बाजार वाले आनंद राव फाल्के ने बनवाया था. इस मंदिर में भगवान वराह की मूर्ति है जिन्हे भगवान विष्णु का तीसरा अवतार कहा जाता है.यह अपने आप में एक ऐतिहासिक मंदिर है क्योंकि भगवान वराह का मंदिर देश में बहुत ही कम देखने को मिलता है.
क्या है वराह अवतार की कहानी
पंडित कैलाश नारायण भार्गव ने बताया कि जब हिरण्याक्ष पृथ्वी का हरण कर उसे पाताल लोक ले गया था और पूरी पृथ्वी जलमग्न हो गई थी तो भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया था. उन्होंने बताया कि क्योंकि पाताल तक कोई भी देवता इसलिए नहीं पहुंच पा रहा था क्योंकि वहां हिरण्याक्ष ने विष्ठा की दीवारें बना दी थीं. जिसे भेदने में सभी देवी देवता अक्षम महसूस कर रहे थे. तब भगवान विष्णु ने वराह का रूप धारण किया और अपनी ठुड्डी से उस विष्ठा स्वरूप दीवारों को गिराया और पृथ्वी को अपने सिंह से उठाकर जल स्तर पर ले आए थे .इतना ही नहीं उन्होंने राक्षस का वध भी किया था. तभी से भगवान के वराह स्वरूप की पूजा की जाने लगी. जिसे भगवान का तृतीय स्वरूप भी कहा जाता है. उन्होंने बताया कि यहां के अलावा एक मंदिर सोरों में भी स्थित है.
दूर-दूर से दर्शनों के लिए आते है लोग
पुजारी भार्गव के अनुसार यह मंदिर बेहद खास है क्योंकि भगवान के इस स्वरूप का बहुत ही कम दर्शन करने को मिलता है. इसीलिए भगवान के इस स्वरूप के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग ग्वालियर आते हैं.भगवान भी सभी श्रद्धालुओं की इच्छाएं पूरी करते है.
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