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Narmadapuram: 111 साल पुराना गुरुकुल...यहां से विदेशों में हो रहा संस्कृत, वेदों का प्रचार

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गुरुकुल

गुरुकुल में शिक्षा लेते हुए छात्र

यदि आप सोचते हैं कि गुरुकुल अब पुराने जमाने की बात हो गई है, तो शायद आप गलत हैं. नर्मदापुरम में इसी तरह का गुरुकुल संचा ...अधिक पढ़ें

रिपोर्ट: दुर्गेश सिंह राजपूत

नर्मदापुरम: यदि आप सोचते हैं कि गुरुकुल अब पुराने जमाने की बात हो गई है, तो शायद आप गलत हैं. नर्मदापुरम में इसी तरह का गुरुकुल संचालित हो रहा है, जहां गुरु-शिष्य परंपरा के अनुसार वैदिक शिक्षा आज भी दी जा रही है. यहां से शिक्षित विद्यार्थी अब इस परंपरा को विदेशों तक फैला रहे हैं.

टीवी के धार्मिक सीरियलों में ही नजर आने वाली गुरुकुल परंपरा का निर्वाह आज भी देश के कुछ स्थानों पर देखा जा सकता है. नर्मदापुरम मुख्यालय से मात्र 3 किलोमीटर दूर आर्ष गुरुकुल में पिछले 111 वर्षों से इसी परंपरा के तहत विद्यार्थियों को शिक्षित किया जा रहा है.

नर्मदापुरम शहर से कुछ ही दूरी पर नर्मदा किनारे खर्रा घाट के पास स्थित आर्ष गुरुकुल, प्रकृति और हरियाली के बीच स्थित है. इस गुरुकुल में मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के छात्र वैदिक शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

विदेशों में भी कर रहे संस्कृत का प्रचार
प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्राचीन शिक्षा व्यवस्था को न केवल नर्मदापुरम जिले में जीवित रखा गया है, बल्कि वैदिक शिक्षा का प्रचार प्रसार विदेशों तक में फैला है. यह गुरुकुल मध्य प्रदेश का वेद, वेदांग एवं दर्शन ग्रंथों के अध्ययन का एकमात्र वैदिक महाविद्यालय है. यहां से शिक्षित विद्यार्थी विदेशों में भी सनातन संस्कृति का विस्तार कर रहे हैं. विदिशा के जीतेंद्र आर्य और मंदसौर के विजय प्रकाश ने यहां वैदिक शिक्षा ग्रहण की थी, जिसके बाद उन्हें फ्रांस की सरकार ने अपने यहां नियुक्त किया. छात्र ओम प्रकाश एवं विजय प्रकाश दोनों भाई हाॅलैंड में वैदिक धर्म का प्रचार कर रहे हैं. इसी तरह अन्य विद्यार्थी मिलकर विश्व के 24 देशों में संस्कृत, वेदों और सनातन परंपरा का विस्तार कर रहे हैं.

देश के 7 प्रांतों के ब्रह्मचारी करते हैं निःशुल्क वेद अध्ययन
देश के ख्यातिमान इस गुरुकुल में निःशुल्क वैदिक अध्ययन करने के लिए सात प्रांतों के ब्रह्मचारी आकर इसी परिसर में रहते हैं. इनमें मध्यप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, जैसे तमाम प्रदेशों से यह ब्रह्मचारी आकर संस्कृति के अनुरूप गुरुकुल में चारों वेदों और अन्य शास्त्रों का अध्ययन कर विद्वान बन रहे हैं.

ऐसी होती है गुरुकुल की दिनचर्या
गुरुकुल के विद्यार्थी सुबह 4 बजे ईश्वर स्तुति के लिए उठ जाते हैं,उसके बाद सुबह 6.30 बजे तक योग, स्नान और स्वाध्याय के साथ ही योगाभ्यास होता है.हवन-वेद पाठ 6.30 से 7.30 बजे तक करने के बाद अल्पाहार का समय निश्चित है. इसी तरह दिनभर वैदिक अध्ययन के साथ ही खेलकूद व अन्य गतिविधियां शामिल रहती हैं. विद्यार्थियों को रात 10 बजे सोना जरूरी होता है.

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