रिपोर्ट: दुर्गेश सिंह राजपूत
नर्मदापुरम: जिले को एक उत्पाद एक जिला में पर्यटन के लिए चयनित किया गया है, लेकिन इसके बाद भी पर्यटन के दृष्टिकोण से जिला प्रशासनिक अनदेखी का शिकार है. विख्यात साहित्यकार दादा भवानी प्रसाद मिश्र की कविता लेखन का स्थान यहां आज भी पहचान के लिए मोहताज है. न तो यहां पर्यटन की दृष्टि से इसे विकसित किया गया और न ही यहां पर्यटक आते हैं. ऐसे में साहित्यकार की कृतियों से लोग आज अंजान बने हुए हैं.
अपनी कविता से देशभर में नाम रोशन करने वाले विख्यात कवि दादा भवानी प्रसाद मिश्र की यह वही स्थली है, जहां पर बैठकर उन्होंने सन्नाटा नामक रचना लिखी थी, लेकिन आज यह स्थान पहचान का मोहताज बन गया है. नर्मदापुरम जिले में एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पर बैठकर दादा ने कविता लिखी थी. यहां 2015 में नगर पालिका ने पार्क बनाया था, लेकिन अनदेखी का शिकार यह पार्क खाली पड़ा हुआ है. यहां पर लोगों का आना जाना कम है. क्योंकि प्रचार-प्रसार की कमी के कारण लोगों को इसके बारे में पता ही नहीं है.
प्रशासन दे अगर ध्यान
दादा की जिस प्रकार की ख्याति थी कुछ इसी प्रकार की ख्याति सन्नाटे के लिखने वाले स्थान की नहीं हो सकी, यह उजाड़ है. हालांकि पीछे ही होशंगशाह का किला है, जो खंडहर तो है, लेकिन यहां पर्यटक जरूर आते हैं. प्रशासन ध्यान दे तो सन्नाटा जैसी कृति की रचना करने वाला यह पार्क भी गुलजार हो सकता है.
दादा भवानी प्रसाद मिश्र की कविता की चार लाइनें
तो पहले अपना नाम बता दूं तुमको,
फिर चुपके-चुपके धाम बता दूं तुमको
तुम चौंक नहीं पड़ना यदि धीमे-धीमे
मैं अपना कोई काम बता दूं तुमको
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