पीली चादर बिछ गयी है होशंगाबाद के इस गांव में, बड़े-बड़े अफसर आ रहे हैं देखने

होशंगाबाद में रामतिल की खेती
रामतिल (ramtil) का स्थानीय स्तर पर इसका उपयोग खाने के तेल (Edible oil) के लिए किया जाता है. तेल निकालने के बाद बची खली का इस्तेमाल मवेशियों के चारे (Cattle feed) के रूप में होता है.विदेशों में इसकी डिमांड पक्षियों के दाने के रूप में है
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: November 26, 2019, 12:50 PM IST
होशंगाबाद.होशंगाबाद (hoshangabad) का बनखेड़ी इलाका इन दिनों दमक रहा है. ये चमक सोने (gold) की नहीं है, लेकिन इलाके के लोगों के लिए सोने (gold) से कम भी नहीं है. पूरा इलाका रामतिल से दमक रहा है. वही रामतिल (ramtil) जो ऊंचे दाम पर बिक रही है और इसकी डिमांड विदेशों में है.
होशंगाबाद ज़िले का बनखेड़ी इलाके की पहचान अब देश-विदेश तक हो गयी है. यहां बड़े पैमाने पर रामतिल की खेती की जा रही है. बनखेड़ी के गुंदरई में इस दिनों जहां भी नज़र दौड़ाओ हर तरफ रामतिल के लहलहाते पौधे देखे जा सकते हैं. पौधों पर फूलों की बहार है. यहां से वहां तक हरे पौधों पर पीले फूलों की चादर बिछी हुई है. गुंदरई में करीब 250 एकड़ ज़मीन पर रामतिल की खेती की गयी है. इसी के साथ गुंदरई प्रदेश ही नहीं देश का इकलौता ऐसा गांव बन गया है जहां इतने बड़े पैमाने पर रामतिल की पैदावार की जा रही है.
पहली बार प्रयोग
आमतौर पर इसकी खेती पहाड़ी या ढलान वाले क्षेत्र में की जाती है. पहली बार होशंगाबाद जिले में इसकी खेती की जा रही है. होशंगाबाद जिला आमतौर पर गेंहू, दाल आदि फसलों के लिए जाना जाता है. लेकिन इस बार इस फसल के प्रति किसानों का रुझान सिर चढ़कर बोल रहा है. फसल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके बीज में 40 प्रतिशत तेल और 20 प्रतिशत प्रोटीन होता है.इसमें कीड़े नहीं लगते और जानवर-पक्षियों नुक़सान नहीं पहुंचाते. इसके पौधे पर मुधमक्खी पालन भी किया जा सकता है.
आय का मज़बूत स्रोत
रामतिल का स्थानीय स्तर पर इसका उपयोग खाने के तेल के लिए किया जाता है. तेल निकालने के बाद बची खली का इस्तेमाल मवेशियों के चारे के रूप में होता है.विदेशों में इसकी डिमांड पक्षियों के दाने के रूप में है. इसकी काफी डिमांड है. जानकारों के मुताबिक देश से हर साल 50 लाख डॉलर से अधिक का रामतिल विदेशों को निर्यात किया जाता है. यही कारण है रामतिल की फसल का आंकलन अब डॉलर में किया जाने लगा है.
अफसरों ने देखी खेतीबनखेड़ी में इतने व्यापक पैमाने पर रामतिल की खेती की ख़बर जब फैली तो अफसरों का एक दल पिछले दिनों यहां दौरे पर आया. इस दल में जवाहर लाल नेहरू कृषि विवि के कुलपति, कमिश्रर, कलेक्टर शामिल थे. सभी ने फसल का जायजा लेने के बाद इसे प्रदेश और देश के लिए मॉडल बताया.
ये भी पढ़ें-स्वच्छता में नंबर 1 की दौड़ : कार में भी डस्टबिन रखना होगा वरना लगेगा फाइन
व्यापम घोटाला: आरक्षक भर्ती परीक्षा- 30 दोषियों को 7, एक को 10 साल की सज़ा
होशंगाबाद ज़िले का बनखेड़ी इलाके की पहचान अब देश-विदेश तक हो गयी है. यहां बड़े पैमाने पर रामतिल की खेती की जा रही है. बनखेड़ी के गुंदरई में इस दिनों जहां भी नज़र दौड़ाओ हर तरफ रामतिल के लहलहाते पौधे देखे जा सकते हैं. पौधों पर फूलों की बहार है. यहां से वहां तक हरे पौधों पर पीले फूलों की चादर बिछी हुई है. गुंदरई में करीब 250 एकड़ ज़मीन पर रामतिल की खेती की गयी है. इसी के साथ गुंदरई प्रदेश ही नहीं देश का इकलौता ऐसा गांव बन गया है जहां इतने बड़े पैमाने पर रामतिल की पैदावार की जा रही है.
पहली बार प्रयोग
आमतौर पर इसकी खेती पहाड़ी या ढलान वाले क्षेत्र में की जाती है. पहली बार होशंगाबाद जिले में इसकी खेती की जा रही है. होशंगाबाद जिला आमतौर पर गेंहू, दाल आदि फसलों के लिए जाना जाता है. लेकिन इस बार इस फसल के प्रति किसानों का रुझान सिर चढ़कर बोल रहा है. फसल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसके बीज में 40 प्रतिशत तेल और 20 प्रतिशत प्रोटीन होता है.इसमें कीड़े नहीं लगते और जानवर-पक्षियों नुक़सान नहीं पहुंचाते. इसके पौधे पर मुधमक्खी पालन भी किया जा सकता है.

रामतिल का स्थानीय स्तर पर इसका उपयोग खाने के तेल के लिए किया जाता है. तेल निकालने के बाद बची खली का इस्तेमाल मवेशियों के चारे के रूप में होता है.विदेशों में इसकी डिमांड पक्षियों के दाने के रूप में है. इसकी काफी डिमांड है. जानकारों के मुताबिक देश से हर साल 50 लाख डॉलर से अधिक का रामतिल विदेशों को निर्यात किया जाता है. यही कारण है रामतिल की फसल का आंकलन अब डॉलर में किया जाने लगा है.
अफसरों ने देखी खेती
Loading...
ये भी पढ़ें-स्वच्छता में नंबर 1 की दौड़ : कार में भी डस्टबिन रखना होगा वरना लगेगा फाइन
व्यापम घोटाला: आरक्षक भर्ती परीक्षा- 30 दोषियों को 7, एक को 10 साल की सज़ा
News18 Hindi पर सबसे पहले Hindi News पढ़ने के लिए हमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें. देखिए होशंगाबाद से जुड़ी लेटेस्ट खबरें.
First published: November 26, 2019, 12:44 PM IST
Loading...