भारतीय हॉकी टीम की जीत पर विवेक सागर के गांव शिवनगर चांदोन में जश्न मना
होशंगाबाद. ओलंपिक खेलों (Tokyo Olympics) में आज का दिन भारत के नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया. टीम इंडिया ने जब हॉकी के रोमांचक मुकाबले में कांस्य पदक जीता तो होशंगाबाद जिले के एक छोटे से गांव शिवनगर चांदोन में जश्न मनने लगा. हॉकी टीम (Hockey) में शिवनगर के होनहार खिलाड़ी विवेक सागर भी शामिल हैं. ओलंपिक में इस मुकाम तक अपनी टीम को पहुंचाने में विवेक का भी शानदार सहयोग रहा.
विवेक सागर होशंगाबाद जिले के इटारसी के नजदीक शिवनगर चांदोन के रहने वाले हैं. साधारण परिवार में जन्मे विवेक सागर के पिता रोहित प्रसाद का सपना था कि विवेक बड़ा होकर सरकारी नौकरी करे, लेकिन बेटे का सपना कुछ और ही था. लेकिन आज जब विवेक ओलंपिक की ब्रांज मेडल विजेता टीम का हिस्सा बने तो उनके पिता की आंखों में खुशी के आंसू थे.
सफलता का सुनहरा सफर
होशंगाबाद इटारसी के एक छोटे से गांव शिवनगर चांदोन से विवेक सागर मध्य प्रदेश हॉकी एकेडमी और फिर ओलंपिक के ग्राउंड तक पहुंचे और टीम जब जीती तो यहां शान से तिरंगा फहराया गया. टीम की सफलता पर गांव से लेकर पूरे जिले में खुशी का माहौल है. हर किसी ने ढोल की धुन पर थिरक कर अपनी खुशी जाहिर की. विवेक की सफलता पर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी खुशी जाहिर करते हुए उन्हें प्रदेश सरकार की तरफ से 1 करोड़ रुपये नगद पुरस्कार देने की घोषणा की है.
मैच जीतने के बाद Video कॉल
मैच जीतने के बाद जब विवेक ने वीडियो कॉल किया तो परिवार के लोगों फोन पर ही विवेक का विजय तिलक किया और पिता ने खूब आशीर्वाद दिया. टोक्यो ओलंपिक पर ऐसे तो देशभर की निगाहें टिकी हैं लेकिन नर्मदा माटी में ओलंपिक को लेकर इस बार एक अलग ही जुनून था. इसका कारण ये था कि होशंगाबाद की माटी में जन्मे विवेक सागर हॉकी टीम के सदस्य थे. 41 साल बाद टीम इंडिया को हॉकी में मेडल मिला है और प्रदेश के इकलौते खिलाड़ी विवेक सागर हॉकी की विजय टीम के ना केवल हिस्सा रहे बल्कि विवेक का शानदार प्रदर्शन इस जीत की अहम वजह रही है. विवेक के गांव से लेकर इटारसी शहर और समूचे होशंगाबाद जिले में इस त का जश्न मनाया जा रहा है.
पिता का था एक सपना
पिता का सपना था कि विवेक अच्छी पढ़ाई कर कोई सर्विस ज्वॉइन करें लेकिन विवेक के सपने और नियति को कुछ और ही मंजूर था. अपने पिता से नजरें बचाकर विवेक शिवनगर चांदोन के मैदान में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे. उनकी लगन ने उन्हें पहले इटारसी पहुंचाया और फिर वहां से मध्य प्रदेश हॉकी एकेडमी आ गए. यहां देश के नामचीन खिलाड़ी अशोक ध्यानचंद का सहयोग विवेक को मिला और आज विवेक ने सफलता की इबारत लिख दी है. इस दौरान चाहे प्रैक्टिस हो या फिर ओलंपिक के मैच सुबह 4:00 बजे उठकर विवेक ने अपनी मां कमला देवी का आशीर्वाद लेना नहीं छोड़ा. और उसी की बदौलत आज जीत का सेहरा विवेक के सिर पर है. विवेक के पिता रोहित प्रसाद ने कहा यह जीत पूरे गांव, पूरे जिले और पूरे देश की जीत है.
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Tags: Hoshangabad News, Indian hockey player, Indian Hockey Team, Tokyo Olympics 2021
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