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12 साल के बच्‍चे की गवाही पर सद्दाम को फांसी, 7 साल की बच्‍ची के साथ की थी हैवानियत

सात साल की बच्‍ची की हत्‍या के मामले में आरोपी सद्दाम को फांसी की सजा सुनाई गई है. (न्‍यूज 18 हिन्‍दी)

सात साल की बच्‍ची की हत्‍या के मामले में आरोपी सद्दाम को फांसी की सजा सुनाई गई है. (न्‍यूज 18 हिन्‍दी)

Brutal Crime: आजाद नगर क्षेत्र में 7 साल की बच्ची अपने घर के बाहर खेल रही थी. पास में ही उसकी नानी खड़ी थीं. उनकी परवाह ...अधिक पढ़ें

इंदौर. इंदौर में अदालत ने अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने 7 साल की बच्ची की हत्या के दोषी पाए गए सद्दाम को फांसी की सजा सुनाई है. सद्दाम ने बच्ची को गलत नीयत से उठाया था. विरोध करने पर उसने बच्ची पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया था, जिसमें बच्ची की मौत हो गयी थी.

घर के बाहर खेल रही मासूम के हत्यारे को कोर्ट ने चार महीने के भीतर ही सुनवाई  पूरी कर फांसी  की सजा से दंडित किया है. दोषी के परिवार ने उसे मानसिक विक्षिप्त बताने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने सुनवाई के दौरान उसे पूर्ण स्वस्थ माना. केस में 12 साल के ही एक मासूम की गवाही अहम साबित हुई. उसने निडरता से बतौर प्रत्यक्षदर्शी कोर्ट के सामने गवाही दी. कोर्ट ने आरोपी को बर्बर मानसिकता का मानते हुए, इस अपराध को विरल से विरलतम माना और सद्दाम को मृत्युदंड की सजा सुनाई.

23 सितंबर 2022 का वो दिन
घटना 23 सितंबर 2022 की है. आजाद नगर क्षेत्र में सात साल की बच्ची अपने घर के बाहर खेल रही थी. पास में ही उसकी नानी खड़ी थीं, लेकिन इस सबकी परवाह किए बिना सद्दाम नामक युवक बच्ची को उनके सामने से ही उठा ले गया था. सद्दाम  बच्ची को पास में ही अपने घर  ले गया वहां गलत हरकत करने की कोशिश की. बच्ची लगातार चीख रही थी. उसे शांत करने के लिए सद्दाम ने चाकू से ताबड़तोड़ वार किए. जिससे मासूम की वहीं मौत हो गयी. उसके बाद वो भागने लगा. लेकिन भीड़ ने पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया.

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120 दिन में सुनवाई पूरी
घटना के बाद मुख्यमंत्री  शिवराज सिंह चौहान और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कड़ी कार्रवाई के लिए इंदौर कमिश्नर को निर्देश दिए थे. पुलिस ने इस अपराध को चिन्हित अपराधों की श्रेणी में  शामिल किया  था. पुलिस ने इस मामले की जल्द विवेचना  पूरी की और फास्टट्रैक कोर्ट में ट्रायल किया गया. लगभग 120 दिन में कोर्ट ने मामले में सुनवाई पूरी कर सद्दाम को दोषी करार दिया, और विभिन्न धाराओं के तहत दोषी पाते हुए  फांसी की सजा सुनायी. साथ ही कोर्ट ने पीड़ित परिवार को तीन लाख रूपये प्रतिकर देने के शासन को निर्देश दिए हैं.

12 साल के बच्चे ने दी गवाही
आज़ाद नगर थाना पुलिस ने घटना के तुरंत बाद केस दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी थी. लगभग 15 दिन में मामले की विवेचना पूरी कर 7 अक्टूबर को चालान कोर्ट में पेश कर दिया था. पुलिस ने मामले में जांच के दौरान 23 गवाह बनाए थे, जिन्होंने कोर्ट में गवाही दी. इसमें एक 12 साल का बच्चा भी शामिल है जो घटना से कुछ वक़्त पहले तक मृतका के साथ ही खेल रहा था. कोर्ट ने मासूम की गवाही को अहम माना है. कोर्ट में लगभग एक माह के भीतर 23 गवाहों की गवाही हुई. इस दौरान आरोपी पक्ष की तरफ से भी दो बचाव साक्षियों ने कोर्ट में गवाही दी. कोर्ट ने प्रकरण में सुनवाई के बाद 31 जनवरी को आरोपी पर लगे दोषों को सही पाया, और 6 फरवरी को फैसला सुना दिया.

मानसिक विक्षिप्त बताने की कोशिश
आरोपी की और से उसके परिवार ने उसे कोर्ट में मानसिक विक्षिप्त बताया था. इसलिए कोर्ट में एक वकील ने गवाही भी दी थी. लेकिन कोर्ट में आरोपी के मेडिकल और अन्य तरीके से भी जांच की गई. कोर्ट में आरोपी से अलग अलग कई सवाल किये. सभी जबाब सद्दाम ने सही दिए. इस आधार पर कोर्ट ने सद्दाम को पूर्णतः मानसिक स्वस्थ माना. कोर्ट की दलील थी कि जब आरोपी को सारी पारिवारिक एवं सामाजिक जानकारी है तो वह मानसिक अस्वस्थ्य कैसे हो सकता है. लिहाजा उसे मानसिक स्वस्थ मनाकर ही केस चलाया गया. मेडिकल परीक्षण के दौरान भी वह पूरी तरह स्वस्थ साबित हुआ था.

दोषी बर्बर मानसिकता का
कोर्ट ने  पूरे मामले में ट्रायल के बाद 51 पेज का फैसला लिखवाया, जिसमे सद्दाम के इस कृत्य को विरल से विरलतम और आरोपी को बर्बर मानसिकता का माना. विशेष टिपण्णी करते हुए आदेश दिया कि यदि आरोपी को जमानत दी जाती है तो यह मृतका के परिवार और समाज के लिए अच्छा संदेश साबित नहीं होगा. आरोपी पूरे समाज के लिए खतरनाक है. समाज के लिए नासूर है. उसका पुनर्वास होना सम्भव नहीं है. इसलिए उसे मृत्युदंड से दंडित किया जाए.

रिकॉर्ड समय में जांच
आज़ाद नगर थाना पुलिस ने पूरे मामले में विस्तृत जांच की और कम समय में ही कोर्ट में चालान पेश कर दिया. इस मामले में नोडल अधिकारी आज़ाद नगर टीआई इंद्रेश त्रिपाठी और जांच अधिकारी उपनिरीक्षक अनिल गौतम को बनाया गया था. इंद्रेश त्रिपाठी ने समय से सभी गवाहों और अन्य तकनीकी जांच रिपोर्ट को कोर्ट में प्रस्तुत किया.

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