भारत आकर खुश हैं ये पाकिस्तान के नागरिक. इन्हें यहां गैर होने का अहसास नहीं हो रहा.
इंदौर. इंदौर में रह रहे 8 हजार पाकिस्तानी शरणार्थियों को भी कोरोना वैक्सीन का टीका लगाया जाएगा. जहां तमाम भारतीय नागरिकों को वैक्सीनेशन के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता है, वहीं, पाकिस्तानी सिंधी शरणार्थियों को वैक्सीन ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता परिचय पत्र, वीजा और पासपोर्ट के आधार पर भी लग रही है. इसके अलावा जो लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पा रहे हैं उनके लिए वैक्सीन की मात्रा बचने पर शाम 4 बजे के बाद ऑफलाइन वैक्सीन की सुविधा दी गई है. साथ वीजा और पासपोर्ट दिखाकर भी लोग वैक्सीन लगवा सकते हैं.
इंदौर के पाकिस्तानी शरणार्थी बहुल इलाके सिंधी कॉलोनी, पल्सीकर कॉलोनी, माणिकबाग, भवरकुआं इलाकों के करीब 8 हजार से ज्यादा लोगों को 31 मार्च के बाद वैक्सीनेशन का लाभ मिल चुका है. इनमें 18 प्लस, 45 प्लस और 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग शामिल हैं. फिलहाल जिन चार केंद्रों पर ये तमाम लोग पहुंच रहे हैं उन्हें हर केंद्र पर तीन सौ से साढ़े तीन सौ वैक्सीन के डोज लग रहे हैं. सभी को टीके लगवाने की जिम्मेदारी संबंधित पंचायतों के प्रतिनिधियों ने समाज के लोगों को ही सौंपी है. उन्हें टीकाकरण केंद्र का प्रभारी बनाया गया है.
इस वजह से आ रही परेशानी
प्रीतमलाल दुआ सभागृह वैक्सीनेशन सेंटर प्रभारी भगवान दास कटारिया का कहना है कि सिंधी समाज के सभी पाकिस्तानी शरणार्थी अपना कोई भी पहचान पत्र दिखाकर टीकाकरण करवा सकते हैं. यदि पहचान पत्र में किसी तरह की समस्या होती है तो वो अपना पासपोर्ट दिखाकर टीकाकरण करवा सकते हैं. इसके अलावा इन शरणार्थियों को विशेष परिस्थिति में एक ही कागजात पर एक से अधिक लोगों का टीकाकरण किया जा सकता है. लेकिन कंप्यूटर सिस्टम में विदेशी नागरिकों का कॉलम नहीं होने से परेशानी आ रही है.
भारत में जिंदगी सुधरी
कटारिया ने कहा कि पाकिस्तान से बेहतर भविष्य की आस में भारत आए इन लोगों को लगता है कि यहां आकर इनकी स्थितियां बेहतर हुई हैं. वे कहते हैं कि जब वे हिंदुस्तान आए थे तब इसके पीछे बहुत कुछ छोड़कर आए थे. लेकिन यहां इज़्ज़त की ज़िंदगी जी रहे हैं. रात को चैन से सो पा रहे हैं. कई बार दो वक्त की रोटी कमाना मुश्किल होता था, लेकिन अब स्थितियां बेहतर हुई हैं.
पाकिस्तान में हुआ भेदभाव
यहां के लोगों ने उन्हें अपनाया और आगे बढ़ने का मौका दिया. हिंदू होने की वजह से पाकिस्तान में उनके साथ भेदभाव किया गया. उनकी संपत्ति हड़प ली गई. उनकी बहन बेटियों के साथ ज्यादती की गई. लेकिन. भारत में वो अपने आपको सुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उनको वे सभी सुविधाएं मिल रहीं हो जो एक स्थानीय नागरिक को मिलती हैं. वे यहां सम्मान का का जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
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