इंदौर. देश का सबसे स्वच्छ शहर इंदौर बारिश के लिए तैयार नहीं है. बल्कि इसका बड़ा इलाका बारिश में डूबने के लिए तैयार लग रहा है. शहर की 200 से ज्यादा ऐसी जगह हैं जहां बारिश में जलभराव हो जाएगा. लगातार पांच बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का तमगा हासिल करने वाले इंदौर शहर की सच्चाई से आज हम आपको रुबरू करा रहे हैं. शहर सफाई में तो अव्वल है लेकिन जल भराव में भी अव्वल बनता जा रहा है.नालों पर हो रहे लगातार अतिक्रमण और ड्रेनेज की सही व्यवस्था न होने से मानसून आते ही शहर डूबने की स्थिति में पहुंच जाता है.
सफाई के साथ इंदौर को वैसे तो वॉटर प्लस का दर्जा भी मिला हुआ है. लेकिन नगर निगम की अदूरदर्शिता के कारण ये शहर बारिश के दिनों में डूबने के कगार पर पहुंच जाता है. शहर में 200 से ज्यादा इलाके ऐसे हैं जहां जल भराव के कारण लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है. पिछले साल की बात करें तो महज पांच इंच बारिश में इंदौर डूब गया था. इस बार भी ज्यादा राहत की उम्मीद नहीं है. एक साल में अधिकारी 251 जगहों में से सिर्फ 48 की मरम्मत कर पाए हैं. अभी भी 203 स्थान ऐसे हैं,जहां न तो जल निकासी की समुचित व्यवस्था है ना पर्याप्त ड्रेनेज लाइन. यही वजह है कि लोगों के घरों में पानी घुस जाता है. इससे उनका पूरा सामान खराब हो जाता है. उन्हें दूसरी जगह पनाह लेनी पड़ती है. शहर के जंजीरवाला चौराहे के पास पंचम की फेल के रहवासी हर साल बारिश के दिनों में मुसीबत का सामना करते हैं. ड्रेनेज की सही व्यवस्था न होने से उनके घरों में पानी भर जाता है. जिससे उनका घर गृहस्थी का सामान बरबाद हो जाता है.
नगर निगम ने दी सफाई
नगर निगम कमिश्नर प्रतिभा पाल का कहना है बारिश से पहले जल निकासी की व्यवस्था कर ली गई है. करीब 120 जगह ऐसी हैं,जहां जल जमाव होता है. उनमें से 20-25 इलाके ऐसे हैं जहां जल निकासी की स्थाई व्यवस्था कर दी गई है. कुछ जगहों पर कच्ची नालियों से पानी निकालने की व्यवस्था है. वहां परमानेंट व्यवस्था नहीं बनाई जा सकती है. बची हुई जगहों पर नगर निगम आने वाले दिनों में लगातार काम करेगा, ताकि वहां पानी के भराव को रोका जा सके.
हर साल की समस्या
शहर में जल भराव की समस्या को लेकर कांग्रेस हमलावर है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला का कहना है नगर निगम की लापरवाही की वजह से निचली बस्तियों में ही नहीं शहर की पॉश कॉलोनियां में भी 2 से 3 फीट तक पानी भर जाता है. ये समस्या सालों से चली आ रही है. इसका मुख्य कारण नाला टेपिंग है. शहर में बारिश का पानी निकलकर आसपास की नदियों में जाता था. लेकिन नाला टेप होने की वजह से पानी बैक वाटर के रूप में शहर में भर जाता है,थोड़ी सी बारिश में ही पूरा शहर जलमग्न हो जाता है. मानसून के पहले नगर निगम कोई ठोस प्रयास नहीं करता है,यही वजह रहती है कि बारिश होते ही देश के सबसे स्वच्छ शहर का भीभत्स रूप दिखाई देने लगता है.
समय रहते काम की जरूरत
कांग्रेस के नाला टेपिंग के आरोपों पर नगर निगम के निवर्तमान अध्यक्ष और बीजेपी नेता अजय सिंह नरूका का कहते हैं कि नाला टेपिंग एक बहुत बड़ा काम है. इंदौर के लिए ये आवश्यक भी है. हालांकि इसमें कई कमियां देखने मे आ रही हैं. नगर निगम के ठेकेदारों, इंजीनियरों और कंसल्टेंट में सही समन्यवय न बन पाने के कारण कुछ खामियां रह गई हैं.जिसे जल्द ही दूर किया कर लिया जाएगा. मानसून से पहले जल भराव को रोकने के तात्कालिक प्रयास करने की जरूरत है. पहले चरण में बंद हुई ड्रेनेज लाइनों की युद्ध स्तर पर सफाई की जा रही है. दूसरे चरण में उपनालों को चिंहित कर उन पर से अतिक्रमण हटाया जा रहा है. उपनाले शहर की धमनियों का काम करते हैं. इनका पानी निकासी में अहम योगदान होता है. नालों और उपनालों को कनेक्ट करने के फॉर्मूले पर काम किया जा रहा है,जिससे भविष्य में इंदौर में जल जमाव की समस्या ही ना हो.
नगर निगम के लिए सुझाव
दावे तो बहुत किेए जा रहे हैं लेकिन हकीकत यही है कि मानसून को देखते हुए अब समय नहीं बचा है कि 203 स्थानों को दुरुस्त किया जा सके. ऐसे में इस बार लोगों को बारिश होते ही मुसीबत झेलनी पड़ेगी. लोगों को मुसीबत से बचाने के लिए नगर निगम को चाहिए कि वो पानी भरने वाले स्थानों पर एक-एक सब-इंजीनियर की ड्यूटी लगाए जो न केवल लोगों को अलर्ट करे बल्कि तत्काल जल निकासी की व्यवस्था कराए.
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