इंदौर. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की आर्थिक राजधानी इंदौर (Indore) में बग्समिरर (Bugsmirror) नाम की कंपनी चलाने वाले झारखंड के युवा अमन पांडे ने गूगल में लगभग 300 गलतियां ढूंढ निकली हैं, जिसके लिए गूगल ने उन्हें लगभग 66 करोड़ रुपये इनाम के तौर पर दिया है. दरअसल, अमन पांडे ने इंदौर में लगभग 2 महीने पूर्व अपनी एक कंपनी की शुरुआत की है, लेकिन लगभग 2 साल से वो गूगल में छुपी हुई कमियों को तलाशने में लगे हुए थे. इसके चलते उन्होंने अभी तक लगभग 300 से अधिक गलतियों को ढूंढ निकाला है. बग्समिरर नाम की अमन की कंपनी में लगभग 15 सदस्यों का स्टाफ है. उनके मुताबिक़ इससे पहले samsung कंपनी ने भी अपनी गलतियां (बग) ढूंढने पर उन्हें इनाम दे चुकी है. अमन मूल रूप से झारखंड के रहने वाले हैं. भोपाल एनआईटी से उन्होंने बीटेक किया है. उनके परिवार के लोग अभी झारखंड में ही रहते हैं. उनके पिता एक स्टेशनरी की दुकान चलाते हैं.
गूगल से मिली इनाम की राशि के बारे में सवाल करने पर उन्होंने यह तो स्पष्ट रूप से नहीं बताया कि उन्हें अभी तक गूगल से कितनी राशि मिली है, लेकिन उनका कहना था कि उन्हें इनाम के तौर पर जितना भी पैसा दिया है, उसका उपयोग अपनी कम्पनी को आगे बढ़ाने के लिए काम में लगा रहे हैं. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उन्हें गूगल ने अभी तक कई उपहार भी भेजे हैं. अमन पांडेय अपनी कंपनी के माध्यम से वो अभी कई बड़ी कंपनियों के साथ काम रहे हैं.
अमन की कंपनी बग्स मिरर करती है सिक्योरिटी मजबूत करने का काम
भोपाल से बीटेक करने के बाद अमन ने 2021 में अपनी कंपनी का रजिस्ट्रेेेेेशन कराया था. अमन की कंपनी बग्समिरर (Bugsmirror) गूगल, एप्पल और अन्य कंपनियों को उनके सिक्योरिटी सिस्टम को अधिक मजबूत बनाने में मदद करती है. अमन अपनी टीम के साथ मिलकर इंदौर में ही इन दिनों काम कर रहे हैं. अमन का दावा है कि उनकी टीम सूक्ष्मता से काम कर रही है, जो लगातार अन्य प्लेटफॉर्म को अधिक सुरक्षित करने में मददगार साबित हुई है. आने वाले दिनों में इसके और बेहतर परिणाम मिलेंगे.
जानकारी है कि एंड्राइड वल्नरेबिलिटी रिवॉर्ड प्रोग्राम (वीआरपी) के तहत साल 2019 में पहली बार अपनी रिपोर्ट दी थी और तब से अब तक वह एंड्राइड वल्नरेबिलिटी रिवॉर्ड प्रोग्राम (वीआरपी) के लिए 280 से अधिक वल्नरेबिलिटी के बारे में रिपोर्ट कर चुके हैं. यह हमारे प्रोग्राम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण साबित हुआ है. पिछले साल इस प्रोग्राम के तहत 220 सिक्योरिटी रिपोर्ट के लिए 2,96,000 डॉलर का भुगतान किया गया. इस बार क्रोम वीआरपी के तहत 115 शोधकर्ताओं को 333 क्रोम सिक्योरिटी बग के बारे में रिपोर्ट करने के लिए कुल 33 लाख डॉलर दिए. इन 33 लाख डॉलर में से 31 लाख डॉलर क्रोम ब्रॉउजर सिक्योरिटी बग और 2,50,500 डॉलर क्रोम ओएस बग की रिपोर्ट करने के लिए दिया गया. गूगल प्ले ने 60 से अधिक शोधकर्ताओं को 5,55,000 डॉलर से अधिक का रिवार्ड दिया. एंड्राइड वीआरपी ने वर्ष 2021 में वर्ष 2020 की तुलना में दोगुना भुगतान किया है और उसने एंड्राएड में एक एक्सप्लाइट चेन का पता लगाने के लिए अब तक की सबसे बड़ी राशि 1,57,000 डॉलर का भुगतान किया है.
बग्स मिरर कम्पनी के संस्थापक अमन के मुताबिक़ उनकी कम्पनी एंड्राइड और अन्य पऑपरेटिंग सिस्टम पर रिसर्च करते है. वह पिछले तीन चार सालो में ऐसे सिस्टम तैयार किये है, जिसके माध्यम से जल्द से जल्द बग्स खोजे जाते है. इस वर्ष लगभग 300 के करीब बग्स को वह रिपोर्ट कर चुके है. गूगल के अलावा अन्य भी कई नामी कम्पनियों के बग्स खोजकर वह रिपोर्ट कर चुके है.
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