इंदौर. डॉ भीमराव अंबेडकर की कल गुरुवार को जयंती है. उनके जन्म स्थल महू में उनके अनुयाइयों का पहुंचना शुरू हो गया है. अनुमान है कि इस बार 5 लाख लोग यहां पहुंच सकते हैं. कोरोना के कारण दो साल से यहां आयोजन बंद था. इसलिए इस बार भीड़ ज्यादा होने की उम्मीद है. पुलिस और प्रशासन ने इस आयोजन के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं.
कोरोना काल के दो साल बाद एक बार फिर संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर (Babasaheb Bhimrao Ambedkar) जयंती महोत्सव महू में मनाया जाएगा. तीन दिन तक चलने वाले आयोजन में देश विदेश से अनुयायी अंबेडकर स्मारक पर पहुंचेंगे. इसके लिए प्रशासन ने खास इंतजाम किए हैं. हालांकि अकोला ट्रेन न चलने से महाराष्ट्र से आने वाले लोगों की संख्या कम रहेगी.
20 भट्टी 6 तरह के व्यंजन
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जयंती महोत्सव में शामिल होने के लिए अनुयायियों का महू पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. दूर दराज से आने वाले लोगों के लिए अंबेडकर स्मारक के सामने छांव के लिए पहली बार डोम बनाया गया है. इसमें कूलर- पंखे भी लगाए गए हैं. स्वर्ग मंदिर परिसर में भोजनशाला में छह प्रकार के व्यंजन तैयार किए जा रहे हैं. इसमें राम भाजी, लौंजी, खिचड़ी, मीठी नुक्ती, मिर्ची का आचार और पूड़ी दी जाएगी. खाना बनाने के लिए 20 भट्टियां बनायी गयी हैं. इस पर लगातार तीन दिन तक भोजन तैयार होगा. इस बार अनुयायियों को टोकन के बजाए प्लेट में भोजन दिया जाएगा. अंबेडकर स्मारक पर अनुयायियों के लिए प्रवेश वाले रास्ते पर रेड कारपेट बिछाया जा रहा है. इसी रास्ते से अनुयायी स्मारक के अंदर बाबा साहेब की प्रतिमा के दर्शन करने के लिए जाएंगे और इसके साथ ही अंदर हॉल में बैठकर बुद्ध वंदना कर सकेंगे.
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महू से बाबा साहेब की यादें
डॉ. अंबेडकर के पिता सूबेदार रामजी सकपाल महार रेजिमेंट में ट्रेनर थे. वे यहां कालीपल्टन क्षेत्र में स्टाफ क्वार्टर में रहते थे. अंबेडकर का जन्म इसी क्वार्टर में हुआ था. हालांकि वे महू में केवल ढाई साल की उम्र तक रहे और फिर उनके पिता रिटायरमेंट के बाद महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में अपने गांव चले गए. अंबेडकर की जन्मस्थली खोजने का काम सेना में पदस्थ एक ब्रिगेडियर जीएस काले ने 1971 में शुरू किया. बाबा साहेब का जन्मस्थान तो मिल या,लेकिन सेना की जमीन होने के कारण इसे हासिल करना मुश्किल था. काफी प्रयास के बाद 1986 में 22 हजार 500 वर्गफुट की ये जमीन सेना ने स्मारक समिति को लीज पर दे दी. स्मारक के विस्तार के लिए अभी भी जमीन की मांग चल रही है.
सफाई-सुविधाओं का अभाव
महू शहर की आबादी करीब डेढ़ लाख है. इसमें 16 प्रतिशत लोग अनुसूचित जाति से हैं. इन 16 में से करीब 10 हजार लोग महाराष्ट्र के अप्रवासी हैं जो महू में रहने लगे हैं. अधिकतर अप्रवासी लोग अकोला और उसके आसपास के इलाकों से हैं. यहां अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को कोई खास सुविधाएं मुहैय्या नहीं कराई गई हैं. संत रविदास दलित उत्थान समिति के अध्यक्ष गबूर सिंह बताते हैं कि यहां लोगों की स्थिति दयनीय है. लोगों को कई योजनाओं का फायदा तक नहीं मिलता है. देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है लेकिन यहां उसका नामोनिशान तक नहीं है. यहां रहने वाले लोग इंदौर शहर की सफाई करते हैं और इंदौर देश का सबसे साफ शहर है लेकिन कोई भी इन लोगों का ध्यान नहीं रखता.
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