इंदौर. इंदौर में नगरीय निकाय चुनाव में पार्षदों के लिए हुई आरक्षण प्रक्रिया पर एक बार फिर कांग्रेस ने सवाल खड़े कर दिए हैं. आरक्षण प्रक्रिया में रोटेशन पद्धति का पालन न करने का आरोप लगाते हुए इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को कंटेप्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस भी दे दिया है. इस मुद्दे को लेकर अब कांग्रेस एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाली है. वो आज हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर रही है. ओबीसी के पेंच से उभरी सरकार के सामने अब कांग्रेस ने रोटेशन प्रक्रिया का नया पेंच फंसा दिया है.
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव में आरक्षण प्रक्रिया पर सवाल उठ रहा है. कांग्रेस ने पार्षदों की आरक्षण प्रक्रिया में रोटेशन पद्धति का पालन न होने का आरोप लगाते हुए इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह को कंटेप्ट ऑफ कोर्ट का नोटिस थमा दिया है. युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयेश गुरनानी का कहना है पार्षदों के आरक्षण में रोटेशन प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है.
बिना रोटेशन के आरक्षण
इंदौर नगर निगम में 2014 में एससी-एसटी के लिए जो वार्ड आरक्षित किए गए थे,उन्हीं वार्डों को दोबारा उन्हीं के लिए आरक्षित कर दिया गया है. शहर में 13 वार्ड एससी के और 3 वॉर्ड एसटी के हैं. इन्हें रोटेट ही नहीं किया गया है. ये त्रुटि पूरे मध्यप्रदेश में की गयी है. रोटेशन के सिद्धांत के पालन के सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों को भी दरकिनार किया गया है. बिना रोटेशन के ही जस के तस वार्ड आरक्षित कर दिए गए हैं,जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी 2022 को ये आदेश पारित करते हुए साफ कहा था कि सभी नगरीय निकायों में रोटेशन प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है. बावजूद इसके प्रशासन मनमाना रवैया अपना रहा है. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को दरकिनार कर दिया गया है. इसीलिए शुक्रवार को हाईकोर्ट में कांग्रेस एक बार फिर याचिका दाखिल करेगी. वहीं संवैधानिक प्रक्रिया का पालन न करने पर राज्यपाल को भी पत्र लिखा गया है.
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कलेक्टर ने कहा-सब नियम के मुताबिक
इंदौर कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है आरक्षण प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया गया है. जनसंख्या के आधार पर वार्ड आरक्षित किए गए हैं. महिलाओं के लिए वार्ड में रोस्टर लगाने के निर्देश दिए गए थे जिनका पालन किया गया है. जो वार्ड पिछली बार महिलाओं के लिए आरक्षित थे, उनको इस बार बदल दिया गया है. जहां तक कांग्रेस की आपत्ति की बात है,सर्वोच्च न्यायालय की कंडिका 28 में स्पष्टीकरण दिया गया है जिसे उन्हें बता दिया गया है.
संविधान के उल्लंघन का आरोप
कांग्रेस आरोप लगा रही है कि प्रदेश की सभी 16 नगर निगमों, नगर पालिका और नगर परिषदों में भी वार्डों का आरक्षण करते समय रोटेशन प्रक्रिया में त्रुटि की गई है. एमपी में संविधान का हनन हो रहा है. कार्यपालिका ने न्यायपालिका के आदेशों-निर्देशों को मानना ही छोड़ दिया है. ऐसे में प्रदेश में आपातकाल की स्थिति निर्मित हो गई है. हम चाहते हैं कि चुनाव जल्द से जल्द हों लेकिन बीजेपी की नीयत संविधान के मुताबिक चुनाव कराने की नहीं है.
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