रिपोर्ट: अभिलाष मिश्रा
इंदौर: शहर का कांच मंदिर न केवल मध्यप्रदेश बल्कि पूरे देश में मशहूर है. वैसे तो मंदिर अध्यात्म के प्रतीक होते हैं पर यह मंदिर अध्यात्म के साथ-साथ अपनी स्थापत्य कला, आर्किटेक्चर, बनावट और ख़ूबसूरती के लिए भी प्रसिद्ध है. इंदौर का यह कांच मंदिर भी अपनी सुंदरता भव्यता के लिए इतना मशहूर है कि विदेशी पर्यटक भी इसे देखने के लिए आते हैं.
दरअसल इंदौर के कांच मंदिर ने अपनी स्थापना के 110 साल पूरे कर लिए हैं. इस मंदिर का पूरा इंटीरियर कांच से बनाया गया है. छत से लेकर खंभे, दरवाजे, खिड़कियां, झूमर सब कुछ कांच का है. खास बात ये कि इस मंदिर में लगे कांच बेल्जियम से मंगवाए गए थे और इसको बनाने वाले कारीगर ईरान से आए थे.
जैन समाज के इस मंदिर में अलग-अलग समाज के लोग दर्शन करने आते हैं और दर्शन के साथ इसकी खूबसूरती को निहारते हैं. मंदिर बनाने की शुरुआत करीब 1913 में इंदौर के ‘सर सेठ हुकुमचंद’ ने की थी, जिसमें भगवान शांतिनाथ की मूर्ति काले संगमरमर, आदिनाथ और चन्द्रप्रभु भगवान की मूर्ति सफेद संगमरमर से बनाई हुई है.
सीमेंट का नहीं हुआ इस्तेमाल
कांच मंदिर के मैनेजर नरेश जैन ने बताया कि 110 साल पहले मंदिर के निर्माण के लिए बेल्जियम से कांच मंगवाया गया था, जिसे ईरानी कारीगरों ने बड़ी ही खूबसूरती से बनाया था. वहीं पत्थर और उसके कारीगर राजस्थान से आए थे. इस मंदिर के निर्माण में किसी भी तरह से सीमेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है, बल्कि पूरे मंदिर की जुड़ाई चूने से की गई है. सेठ हुकुमचंद ने और भी कई भव्य मंदिर बनवाए हैं. उन्हें अंग्रेजों ने ‘सर’ का खिताब दिया था. बताया कि कॉटन किंग कहलाने वाले सेठ हुकुमचंद का नाम न्यूयॉर्क के स्टॉक एक्सचेंज तक चलता था.
मंदिर की गूगल लोकेशन: https://g.co/kgs/LqYpMz
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