इंदौरा में भिखारियों के रेस्क्यू के दौरान एक विक्षिप्त महिला मिली. जब उपचार के बाद वह ठीक हो गई तो उसने अपनी दर्दभरी दास्तां सुनाई. जिसे सुनकर सभी दंग रह गए.
रिपोर्ट: अभिलाष मिश्रा
इंदौर: प्रवासी सम्मेलन के कुछ महीनों पहले शहर में भिखारियों के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया गया. इस दौरान एक विक्षिप्त महिला मिली, जो कई सालों से शहर में दर-बदर घूमती थी. इसको रेस्क्यू कर अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज हुआ. जब वह महिला ठीक हो गई तब उसने अपनी कहानी सुनाई, जिसे सुनकर सभी दंग रह गए.
यह महिला मूल रूप से मध्यप्रदेश के ही सेंधवा की रहने वाली है. उसकी उम्र लगभग 50 वर्ष है. ठीक होने से पहले वह अधिकांश समय शास्त्री ब्रिज पर ही रहा करती थी. मानसिक स्थित बिगड़ने की वजह से इसे कुछ याद नहीं था, यह कहां की है और कहां से आई थी, उसे अपना नाम भी पता नहीं था. हां, यह महिला हिंसक जरूर थी. वह अपने पास पत्थर, चाकू व ब्लेड भी रखती थी. कई बार लोगों पर हमला भी कर चुकी थी.
रेस्क्यू के दौरान भी किए हमले
महिला का रेस्क्यू इतना आसान नहीं था. दरअसल, नगर निगम और संस्था ‘प्रवेश’ द्वारा भिक्षुक मुक्त शहर अभियान के तहत रेस्क्यू किया गया. रेस्क्यू के लिए टीम ने उसे तीन बार उठाकर ले जाने की कोशिश की, लेकिन वह हर बार हिंसक होकर हमले करने लगती थी. कई बार तो उसने खुद पर ही हमला कर घायल कर लिया था.
दो बेटे हैं, दोनों को सौंप दिया था मठ को
कुछ साल पहले महिला के पति और दो सगे भाइयों की मौत एक एक्सीडेंट में हो गई थी. पति व भाई की मौत के बाद महिला सदमे में चली गई. उसका मानसिक संतुलन बिगड़ गया था. महिला के दो बेटे भी हैं, जिन्हें उसने खुद ही एक मठ को सौंप दिया था. महिला को खुद कुछ भी याद नहीं कि वह कैसे इंदौर आ गई. इलाज के बाद अब वह ठीक होकर अपने माता-पिता के पास सेंधवा में है. करीब 15 दिन पहले ही उसे उसके माता-पिता को सौंप दिया गया था. उसके पिता ट्रांसपोर्ट व्यवसायी हैं. महिला के दोनों बेटों के बारे में पता चला है कि एक बेटा जयपुर के नारायण दास मठ में है, जबकि दूसरा अयोध्या के मठ में है.
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