किसी अच्छे एमबीए कॉलेज में एडमिशन नहीं हो पाया तो प्रफुल्ल ने अपने पिता की मदद से अपना व्यवसाय करने की योजना बनाई जिसके तहत उन्होंने चाय की दुकान लगाई (फाइल फोटो)
इंदौर. आज के ज्यादातर युवा एमबीए (MBA) कर एक सफल करियर बनाने का सपना देखते हैं. मगर एमबीए में एडमिशन (MBA Admission) ले पाने में नाकाम रहे एक युवक ने महज आठ से दस हजार रुपए के साथ चाय की दुकान खोली और तीन वर्षों में तीन करोड़ रुपए का कारोबार (Business) स्थापित कर लिया. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार (Dhar) जिले के एक छोटे से गांव के रहने वाले 20 वर्षीय प्रफुल्ल बिल्लोर (Praful Billore) ने बी.कॉम की पढ़ाई की थी. वो एक प्रतिष्ठित संस्थान में एमबीए के कोर्स में एडमिशन लेना चाहते थे लेकिन यह नहीं हो सका. इससे निराश प्रफुल्ल ने तब अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने की योजना बनाई. इसी सोच के साथ वो गुजरात के अहमदाबाद (Ahmedabad) पहुंचे.
वर्ष 2017 में उन्होंने अपने पिता से आठ से दस हजार रुपए उधार लेकर सड़क किनारे चाय की दुकान लगानी शुरू की. प्रफुल्ल ने मिस्टर बिल्लोर, एमबीए चायवाला के साथ दुकान का नामकरण किया. सड़क के किनारे चाय की दुकान से शुरुआत करने वाले प्रफुल्ल ने तीन साल में तीन करोड़ रुपए का कारोबार किया. अपने व्यवसाय के पहले दिन उन्होंने 150 रुपए की बिक्री की. उन्होंने कई नई चीजों को करने का प्रयास किया जिसके तहत राजनीतिक रैलियों में चाय बेचने का भी कार्य किया. वर्ष 2019-20 तक प्रफुल का बिजनेस तीन करोड़ रुपए तक पहुंच गया.
जहां एडमिशन नहीं मिल सका, वहां के छात्रों को किया संबोधित
प्रफुल्ल के कामयाब बिजनेस मॉडल ने सुर्खियां बटोरी तो उन्हें आईआईएम अहमदाबाद में छात्रों को संबोधित करने का निमंत्रण मिला. जहां कभी उन्होंने एडमिशन लेकर पढ़ने का ख्वाब देखा था वहां स्टूडेंट्स को लेक्चर देने की बात से वो खुशी से झूम उठे. प्रफुल्ल ने अपने लेक्चर में बताया कि पढ़ाई के दौरान उन्होंने कमाना शुरू कर दिया था. कॉमर्स में स्नातक प्रफुल्ल ने एमवे सेल्समैन के रूप में 25 हजार रुपए प्रति माह की नौकरी की. उन्होंने बताया कि मैं काम और पढ़ाई में संतुलन बनाने में सक्षम था क्योंकि एक औसत छात्र के पास बहुत समय होता है कि वो मेहनत से सफल हो सके. उन्होंने प्रोडक्ट्स बेचे और कंपनी के लिए नए सदस्य भी बनाए. लेकिन करीब एक साल बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी क्योंकि उन्हें इसमें कोई भविष्य नहीं दिखा. जब किसी जाननेवाले ने उन्हें MBA और CAT (कॉमन एडमिशन टेस्ट) एग्जाम के बारे में बताया तो उन्होंने इसे देने का फैसला किया.
प्रफुल्ल ने कहा कि वो एमबीए ग्रैजुएट्स को कोर्स के बाद मिलने वाले शानदार पैकेजों (सैलरी) से आकर्षित हुए. वो इंदौर आ गए और कैट में एक पेइंग गेस्ट में रहने लगे. उन्होंने पढ़ाई की और मेहनत किया. पूर्व में उन्होंने छह महीने का अंग्रेजी पाठ्यक्रम भी किया था लेकिन जब वो प्रमुख कॉलेजों में एडमिशन पाने के लिए मार्क्स सुरक्षित नहीं कर पाए तो वो निराश हुए. उन्होंने बताया कि लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और फिर से एग्जाम देने का फैसला किया. वर्ष 2017 में उन्हें 82 प्रतिशत अंक मिला लेकिन उनके मनपसंद किसी भी टॉप कॉलेज में सीट पाने के लिए वह पर्याप्त नहीं था. तब निराशा में उन्होंने इसे छोड़ने का निश्चय किया.
उनकी फैमिली उन पर किसी भी कॉलेज में एडमिशन लेने का दबाव बना रही थी लेकिन वो इसके लिए तैयार नहीं हुए. पहली बार मई 2017 में प्रफुल्ल अहमदाबाद आए. उन्हें आईआईएम अहमदाबाद के बाहर पीजी रूम मिला. वो संस्थान उनको भा गया, वो यहां से एमबीए करना चाहते थे. उन्होंने अहमदाबाद को चुना था क्योंकि उनका मानना था कि गुजरात किसी भी व्यवसाय को करने के लिए उपयुक्त जगह है. उन्होंने एक दोस्त से मोटरसाइकिल उधार ली और शहर भर में घूमना शुरू किया. उन्होंने पाया कि यहां के लोग अच्छे और विनम्र थे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Ahmedabad News, Business, Dhar news, IIM Ahmedabad, Indore news, Madhya pradesh news
'कहानी' से 'पीपली लाइव' तक 6 बॉलीवुड फिल्में, 10 करोड़ से कम के बजट में बनीं, कर डाली बंपर कमाई
हार्दिक पंड्या ने धोनी के मैदान पर मचाया कोहराम, 15 गेंद पर झटके 3 विकेट, खूंखार बैटर के उड़ाए स्टंप
डेब्यू रहा हिट, शादी कर अचानक गायब हुई 'मेरे यार की शादी है' की एक्ट्रेस, योगिनी बन संभालती हैं करोड़ों का बिजनेस