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अंकित परमार
इंदौरः आरोपी कितना भी शातिर क्यों ना हो वह कोई न कोई सुराग छोड़ ही देता है. हम जिस मामले की बात कर रहे हैं, उसमें तो सुराग ही नहीं बल्कि चोर ने सारे सबूत ही खुद दे दिए. पुलिस जिस केस को सॉल्व करने के लिए माथापच्ची कर रही थी, वह फिर आसानी से सुलझ गया.
मामला मध्य प्रदेश के इंदौर शहर का है. यहां शास्त्री मार्केट में शांतिलाल चौहान की कार डेकोरेशन का बिजनेस है. वह मूल रूप से रतलाम के रहने वाले हैं और इंदौर में बिजनेस करते हैं. कुछ दिन पहले उनकी गाड़ी में साढ़े तीन लाख रुपये से भरा बैग गायब हो गया. उन्होंने अपने स्तर पर काफी खोजबीन की, लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा. उन्होंने पुलिस को भी सूचना दी, लेकिन उसके हाथ भी कोई क्लू नहीं लग रहा था.
नौकर की अय्याशी से खुला राज
शांतिलाल चौहान को इस बीच सूचना मिली की उनका नौकर शुभम काफी पैसे खर्च कर रहा है. उसने हाल ही में एक गाड़ी खरीदी है. इसके अलावा उसके पास महंगा मोबाइल भी आ गया है. शुभम की तनख्वाह महज 12 हजार रुपये थी. इसके बावजूद इतने महंगे शौक पूरा करने की वजह से शांतिलाल का शक उस पर गया और उन्होंने इस बारे में पुलिस को सूचना दी.
पूछताछ में टूट गया शुभम
पुलिस ने शुभम से कड़ाई से पूछताछ की तो उसने अपना जुर्म कबूल करते हुए बैग चोरी करना स्वीकार कर लिया. पुलिस ने चोरी के रुपयों से खरीदे गई गाड़ी और मोबाइल फोन को जब्त कर लिया है. आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से न्यायिक रिमांड पर उसे जेल भेज दिया गया.
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