रिपोर्ट- अंकित परमार
इंदौर. महू से ओंकारेश्वर रोड जाने वाली 146 साल पुरानी छोटी लाइन यानी मीटरगेज ट्रेन हमेशा के लिए बंद हो गई. रेलवे ने इस सप्ताह की शुरुआत में मीटरगेज ट्रैक को ब्रॉडगैज में बदलने के लिए इस रूट को बंद कर दिया है. यह ट्रेन हजारों लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी का आसरा थी. ऐसे में ट्रेन के बंद होने से न केवल उनके लिए आने-जाने की समस्या खड़ी हो गई है, बल्कि उनके हमसफर का साथ छुटने की वजह से यह अपने किसी करीबी से बिछड़ने जैसा फीलिंग भी है.
प्राकृतिक नजारों और पहाड़ियों के बीच से होकर गुजरते इस ट्रैक से हजारों परिवारों की पीढ़ी दर पीढ़ी यादें जुड़ी हुई है. रास्ते में आने वाले कालाकुंड हो या प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर, यह ट्रेन हर छोटे-बड़े कस्बे को जोड़ती थी. कालाकुंड जैसे लोगों के लिए तो अब इस ट्रेन के बगैर जिंदगी के बारे में सोचना भी मुश्किल हो रहा है.
होलकर रियासत से एक करोड़ रुपए का कर्ज लेकर अंग्रेजों ने सन 1877 में इस मीटरगेज ट्रैक को बिछाया था. चार साल तक इस ट्रैक पर काम चलने के बाद 146 साल पहले 3 अगस्त 1877 को पहली बार इस ट्रैक से मालगाड़ी दौड़ी थी.
इसके बाद से यह ट्रेन और इस ट्रैक पर आने वाले स्टेशन के बाशिंदों के बीच एक रिश्ता बन गया था. जीवन के अच्छे और बुरे वक्त में यह ट्रेन ही उनकों दुनिया से जोड़ने का सहारा थी. अब भी कई ग्रामीण इलाके ऐसे है, जिनके पास रोड़ की कनेक्टिविटी नहीं है. ऐसे में इस ट्रेन के जरिए ही वह सफर करते थे. ऐसे हजारों लोगों के लिए अब बड़ी दिक्कतें खड़ी हो गई है. इसलिए जब ट्रेन अपने अंतिम सफर पर दौड़ी तो कई लोगों के लिए यह मिस यू पल था और उन्होंने बकायदा ट्रेन के डिब्बों पर अपने दिल की बात बयां भी की है.
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