MP उपचुनाव: BJP से नाराज हुईं सुमित्रा महाजन, मनाने के लिए उनके घर पहुंचे सांसद राकेश सिंह

इंदौर से 30 साल तक लगातार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन की मालवा निमाड़ इलाके में अच्छी पकड़ है.
राकेश सिंह (Rakesh Singh) ने करीब एक घंटे तक ताई से बंद कमरे में चर्चा की. हालांकि, दोनों नेता मीडिया के सामने नाराजगी की बात से इनकार कर रहे हैं.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: June 20, 2020, 12:10 PM IST
इंदौर. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 24 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में बीजेपी फूंक- फूंक कर कदम रख रही है क्योंकि इन्हीं सीटों की जीत पर सरकार भविष्य टिका है. मालवा की 5 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) को जैसे ही प्रभारी बनाया गया, उसके बाद से बताया जा रहा है ताई यानि सुमित्रा महाजन (Sumitra Mahajan) नाराज हैं. उन्हीं को मनाने का जिम्मा बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सांसद राकेश सिंह को सौंपा गया है.
राज्यसभा का चुनाव खत्म होने के बाद अब बीजेपी ने आगामी 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव का गणित जमाना शुरू कर दिया है. बीजेपी ने मालवा निमाड़ की 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की कमान भाई यानि कैलाश विजयवर्गीय को सौंप दी है. ऐसा कहा जा रहा है कि इसके लिए पार्टी ने पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से चर्चा तक नहीं की. इससे ताई नाराज हो गई हैं. वे न पार्टी की बैठकों में नजर आ रही हैं और न ही चुनाव प्रचार के लिए निकल रही हैं. बीजेपी के लिए एक- एक सीट अहम है.
राकेश सिंह को सुमित्रा महाजन के घर भेज दिया है
ऐसे में वो रिस्क नहीं लेना चाह रही है. यही कारण है कि स्थिति को भांपते हुए बीजेपी ने अपने सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह (Rakesh Singh) को सुमित्रा महाजन के घर भेज दिया है. राकेश सिंह ने करीब एक घंटे तक ताई से बंद कमरे में चर्चा की. हालांकि, दोनों नेता मीडिया के सामने नाराजगी की बात से इनकार कर रहे हैं. लेकिन सुमित्रा महाजन इशारों- इशारों में कह रही हैं कि जब केन्द्रीय मंत्री और केन्द्रीय नेतृत्व तक फोन करके उनसे राय मशविरा लेता है तो प्रदेश नेतृत्व अपने फैसलों में उनसे क्यों रायशुमारी नहीं कर रहा है.Corona की चपेट में आए दिल्ली के DCP, अब तक 1300 पुलिसकर्मी मिले पॉजिटिव
ताई का आशीर्वाद लेने आया था
इंदौर से 30 साल तक लगातार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन की मालवा निमाड़ इलाके में अच्छी पकड़ है. यही कारण है कि बीजेपी कोई रिस्क न लेते हुए ताई को नाराज नहीं रहने देना चाहती है और वो उपचुनाव में उनका लाभ भी लेना चाहती है. इसलिए बीजेपी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और जबलपुर से सांसद राकेश सिंह को ताई को मनाने का जिम्मा सौंपा है. दिल्ली से सीधे इंदौर पहुंचे राकेश सिंह ने ताई से उनके घर पर मुलाकात की. हालांकि, उन्होंने कहा कि वो ताई का आशीर्वाद लेने आए थे. ताई नाराज नहीं है. ताई का आशीर्वाद तो हमेशा पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ रहता है और उपचुनाव में भी रहेगा.
HC ने शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल कैंडिडेट को मानवीय भूल सुधारने का दिया मौका
बीजेपी ने ताई को मार्गदर्शक मंडल में डाला
उपचुनाव से ठीक पहले ताई की नाराजगी ने कांग्रेस को भी बोलने का मौका दे दिया है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में ताई को टिकट न देकर उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया था और उनको पार्टी लगातार इग्नोर कर रही थी. लेकिन अब सांवेर समेत दूसरी सीटों पर उपचुनाव है और ताई की लोकप्रियता काफी समय से है. क्योंकि वो वर्षों तक सांसद रही हैं. ऐसे में बीजेपी को उपचुनाव में उनकी जरुरत पड़ गई है. इसलिए आवश्यक्ता के समय बीजेपी उन्हें मनाने में लग गई है. लेकिन वास्तविक रूप से ताई को मार्गदर्शक मंडल में ही बिठा दिया गया है.
ताई -भाई की सियासत
मालवा निमाड़ की राजनीति के दो पहलू हैं. ताई और भाई. दोनो नेताओं के हर विधानसभा क्षेत्र में अपने अपने समर्थक भी हैं. साथ ही दोनों के बीच अंदरुनी रस्साकशी चलती रहती है. फिलहाल, पार्टी को भी दोनों की जरूरत है, क्योंकि सरकार का भविष्य उपचुनाव पर टिका हुआ है. ऐसे में पार्टी की मजबूरी है कि दोनों को साथ लेकर चले. यही कारण है कि पार्टी संगठन किसी की नाराजगी मोल नहीं लेना चाह रहा है. इसलिए मान मनौव्वल का दौर जारी है.
राज्यसभा का चुनाव खत्म होने के बाद अब बीजेपी ने आगामी 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव का गणित जमाना शुरू कर दिया है. बीजेपी ने मालवा निमाड़ की 5 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की कमान भाई यानि कैलाश विजयवर्गीय को सौंप दी है. ऐसा कहा जा रहा है कि इसके लिए पार्टी ने पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन से चर्चा तक नहीं की. इससे ताई नाराज हो गई हैं. वे न पार्टी की बैठकों में नजर आ रही हैं और न ही चुनाव प्रचार के लिए निकल रही हैं. बीजेपी के लिए एक- एक सीट अहम है.
राकेश सिंह को सुमित्रा महाजन के घर भेज दिया है
ऐसे में वो रिस्क नहीं लेना चाह रही है. यही कारण है कि स्थिति को भांपते हुए बीजेपी ने अपने सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह (Rakesh Singh) को सुमित्रा महाजन के घर भेज दिया है. राकेश सिंह ने करीब एक घंटे तक ताई से बंद कमरे में चर्चा की. हालांकि, दोनों नेता मीडिया के सामने नाराजगी की बात से इनकार कर रहे हैं. लेकिन सुमित्रा महाजन इशारों- इशारों में कह रही हैं कि जब केन्द्रीय मंत्री और केन्द्रीय नेतृत्व तक फोन करके उनसे राय मशविरा लेता है तो प्रदेश नेतृत्व अपने फैसलों में उनसे क्यों रायशुमारी नहीं कर रहा है.Corona की चपेट में आए दिल्ली के DCP, अब तक 1300 पुलिसकर्मी मिले पॉजिटिव
ताई का आशीर्वाद लेने आया था
इंदौर से 30 साल तक लगातार सांसद रहीं सुमित्रा महाजन की मालवा निमाड़ इलाके में अच्छी पकड़ है. यही कारण है कि बीजेपी कोई रिस्क न लेते हुए ताई को नाराज नहीं रहने देना चाहती है और वो उपचुनाव में उनका लाभ भी लेना चाहती है. इसलिए बीजेपी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और जबलपुर से सांसद राकेश सिंह को ताई को मनाने का जिम्मा सौंपा है. दिल्ली से सीधे इंदौर पहुंचे राकेश सिंह ने ताई से उनके घर पर मुलाकात की. हालांकि, उन्होंने कहा कि वो ताई का आशीर्वाद लेने आए थे. ताई नाराज नहीं है. ताई का आशीर्वाद तो हमेशा पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ रहता है और उपचुनाव में भी रहेगा.
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बीजेपी ने ताई को मार्गदर्शक मंडल में डाला
उपचुनाव से ठीक पहले ताई की नाराजगी ने कांग्रेस को भी बोलने का मौका दे दिया है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में ताई को टिकट न देकर उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डाल दिया गया था और उनको पार्टी लगातार इग्नोर कर रही थी. लेकिन अब सांवेर समेत दूसरी सीटों पर उपचुनाव है और ताई की लोकप्रियता काफी समय से है. क्योंकि वो वर्षों तक सांसद रही हैं. ऐसे में बीजेपी को उपचुनाव में उनकी जरुरत पड़ गई है. इसलिए आवश्यक्ता के समय बीजेपी उन्हें मनाने में लग गई है. लेकिन वास्तविक रूप से ताई को मार्गदर्शक मंडल में ही बिठा दिया गया है.
ताई -भाई की सियासत
मालवा निमाड़ की राजनीति के दो पहलू हैं. ताई और भाई. दोनो नेताओं के हर विधानसभा क्षेत्र में अपने अपने समर्थक भी हैं. साथ ही दोनों के बीच अंदरुनी रस्साकशी चलती रहती है. फिलहाल, पार्टी को भी दोनों की जरूरत है, क्योंकि सरकार का भविष्य उपचुनाव पर टिका हुआ है. ऐसे में पार्टी की मजबूरी है कि दोनों को साथ लेकर चले. यही कारण है कि पार्टी संगठन किसी की नाराजगी मोल नहीं लेना चाह रहा है. इसलिए मान मनौव्वल का दौर जारी है.