MP : नगरीय निकाय चुनाव में फंसा पेंच! दिसंबर में घोषित नहीं हुए चुनाव तो दोबारा बनेगी मतदाता सूची

कांग्रेस का कहना है किसान आंदोलन के कारण बीजेपी चुनाव टाल रही है.
राज्य चुनाव आयोग (State election commission) ने नगरीय निकायों के चुनाव दो चरणों में कराने की घोषणा तो कर दी है. साथ ही कोरोना (Corona) के कारण मतदान का समय 1 घंटे बढ़ा दिया है. लेकिन अभी तक चुनाव की ताऱीखें घोषित नहीं की हैं.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: December 25, 2020, 8:08 PM IST
इंदौर.मध्य प्रदेश (MP) में जल्द संभावित नगरीय निकाय चुनाव में एक पेंच फंसता नज़र आ रहा है. अगर चुनाव की तारीखों का ऐलान दिसंबर में नहीं हुआ तो मतदाता सूची (Voter list) दोबारा बनानी पड़ेगी. इसमें नये मतदाताओं के नाम सूची में जोड़ने होंगे.ये नये नाम जनवरी 2021 को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों के होंगे. कांग्रेस का आरोप है कि किसान आंदोलन की धुंध छंटने तक बीजेपी चुनाव टालना चाहती है.
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा यदि 31 दिसंबर के पहले नहीं हुई तो नया पेंच फंस सकता है. नये नियमों के मुताबिक जिस साल मतदाता सूची तैयार होती है,उसी साल चुनाव संपन्न होना चाहिए. ऐसे में यदि 31 दिसंबर से पहले चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ तो मतदाता सूची दोबारा बनानी होगी. ऐसी स्थिति में 1 जनवरी 2021 को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों के नाम भी मतदाता सूची में शामिल करना होंगे और इसमें करीब एक से दो महिने का समय लग जाएगा. इसलिए चुनाव भी एक दो महिने आगे बढ़ सकते हैं.
भ्रम की स्थिति
नगर निगम चुनाव की तारीखों की घोषणा में हो रही देरी ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है. राज्य निर्वाचन आयोग तो चुनाव की तैयारी में लगा हुआ है लेकिन दिसंबर में चुनाव का ऐलान न होने की स्थिति में मतदाता सूची को दोबारा बनाने का पेंच फंस जाएगा. चुनाव टलता देख 1 जनवरी 2021 को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों के नाम भी मतदाता सूची में शामिल करने की तैयारी राज्य के सभी जिलों में शुरू हो गई है. इंदौर में नए मतदाताओं के जोड़ने के लिए कर्मचारियों की ट्रेनिंग चल रही है. ऐसे में नगरीय निकाय चुनाव देरी से होने की बात कही जा रही है इंदौर जिले के कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी मनीष सिंह का कहना है नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियां पूरी कर लीं गई हैं. तारीख के ऐलान का उन्हें भी इंतजार है. दिसंबर में यदि चुनाव की घोषणा नहीं होती है तो देखेंगे आगे क्या स्थिति बनती है.
नेता भी चिंता में
राजनैतिक दलों को भी चुनाव टलने की चिंता सता रही है. बीजेपी के पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा का कहना है 31 दिसंबर के पहले यदि चुनाव की घोषणा हो जाएगी तो कोई कानूनी पेचींदगियां नहीं आएंगी. लेकिन जनवरी लगते ही मतदाता सूची की कानूनी परेशानी आ सकती है कि नगरीय निकाय चुनाव नई मतदाता सूची से हों.उसमें 1 जनवरी को 18 साल पूरे करने वाले नव मतदाता का नाम सूची में शामिल होना चाहिए.लेकिन यदि 31 दिसंबर के पहले चुनाव की घोषणा हो जाती है तो साल 2020 की मतदाता सूची के आधार पर ही चुनाव हो जाएंगे,भले ही चुनाव फरवरी के अंत तक हों.
भाजपा की चाल
कांग्रेस नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा न होने के पीछे बीजेपी को ही दोषी ठहरा रही है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला का कहना है जिस तरह देश में किसानों का आंदोलन चल रहा है उससे भाजपा के विरोध में माहौल बना हुआ है. इसलिए भाजपा चाहती है कि चुनाव आगे बढ़ जाएं. जिससे ये विरोध के माहौल की धुंध छट जाए.तब जाकर नगरीय निकाय के चुनाव कराएं जाएं ताकि उनके पक्ष में मतदान हो सके. ये भाजपा की कुटिल चाल है.वही इसमें नया पेंच फंसा रही है कि नए मतदाता वोटर लिस्ट में जोड़े जाएं.जिससे फर्जी मतदाता जोडऩे का एक और मौका भाजपा को मिल जाए.बीजेपी न केवल इस चुनाव प्रक्रिया को टालना चाहती है बल्कि ऐन केन प्रकारेण चुनाव भी जीतना चाहती है.

दो चरणों में चुनाव
बहरहाल राज्य चुनाव आयोग ने नगरीय निकायों के चुनाव दो चरणों में कराने की घोषणा तो कर दी है. साथ ही कोरोना के कारण मतदान का समय 1 घंटे बढ़ा दिया है. लेकिन अभी तक चुनाव की ताऱीखें घोषित नहीं की हैं. वहीं 1 जनवरी को 2021 को 18 साल की उम्र पूरी करने वाले नए मतदाताओं को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है उससे नेताओं के मन में बैचेनी बढ़ती जा रही है.
मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा यदि 31 दिसंबर के पहले नहीं हुई तो नया पेंच फंस सकता है. नये नियमों के मुताबिक जिस साल मतदाता सूची तैयार होती है,उसी साल चुनाव संपन्न होना चाहिए. ऐसे में यदि 31 दिसंबर से पहले चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ तो मतदाता सूची दोबारा बनानी होगी. ऐसी स्थिति में 1 जनवरी 2021 को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों के नाम भी मतदाता सूची में शामिल करना होंगे और इसमें करीब एक से दो महिने का समय लग जाएगा. इसलिए चुनाव भी एक दो महिने आगे बढ़ सकते हैं.
भ्रम की स्थिति
नगर निगम चुनाव की तारीखों की घोषणा में हो रही देरी ने भ्रम की स्थिति पैदा कर दी है. राज्य निर्वाचन आयोग तो चुनाव की तैयारी में लगा हुआ है लेकिन दिसंबर में चुनाव का ऐलान न होने की स्थिति में मतदाता सूची को दोबारा बनाने का पेंच फंस जाएगा. चुनाव टलता देख 1 जनवरी 2021 को 18 वर्ष की आयु पूरी करने वालों के नाम भी मतदाता सूची में शामिल करने की तैयारी राज्य के सभी जिलों में शुरू हो गई है. इंदौर में नए मतदाताओं के जोड़ने के लिए कर्मचारियों की ट्रेनिंग चल रही है. ऐसे में नगरीय निकाय चुनाव देरी से होने की बात कही जा रही है इंदौर जिले के कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी मनीष सिंह का कहना है नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियां पूरी कर लीं गई हैं. तारीख के ऐलान का उन्हें भी इंतजार है. दिसंबर में यदि चुनाव की घोषणा नहीं होती है तो देखेंगे आगे क्या स्थिति बनती है.
नेता भी चिंता में
राजनैतिक दलों को भी चुनाव टलने की चिंता सता रही है. बीजेपी के पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा का कहना है 31 दिसंबर के पहले यदि चुनाव की घोषणा हो जाएगी तो कोई कानूनी पेचींदगियां नहीं आएंगी. लेकिन जनवरी लगते ही मतदाता सूची की कानूनी परेशानी आ सकती है कि नगरीय निकाय चुनाव नई मतदाता सूची से हों.उसमें 1 जनवरी को 18 साल पूरे करने वाले नव मतदाता का नाम सूची में शामिल होना चाहिए.लेकिन यदि 31 दिसंबर के पहले चुनाव की घोषणा हो जाती है तो साल 2020 की मतदाता सूची के आधार पर ही चुनाव हो जाएंगे,भले ही चुनाव फरवरी के अंत तक हों.
भाजपा की चाल
कांग्रेस नगरीय निकाय चुनाव की घोषणा न होने के पीछे बीजेपी को ही दोषी ठहरा रही है. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला का कहना है जिस तरह देश में किसानों का आंदोलन चल रहा है उससे भाजपा के विरोध में माहौल बना हुआ है. इसलिए भाजपा चाहती है कि चुनाव आगे बढ़ जाएं. जिससे ये विरोध के माहौल की धुंध छट जाए.तब जाकर नगरीय निकाय के चुनाव कराएं जाएं ताकि उनके पक्ष में मतदान हो सके. ये भाजपा की कुटिल चाल है.वही इसमें नया पेंच फंसा रही है कि नए मतदाता वोटर लिस्ट में जोड़े जाएं.जिससे फर्जी मतदाता जोडऩे का एक और मौका भाजपा को मिल जाए.बीजेपी न केवल इस चुनाव प्रक्रिया को टालना चाहती है बल्कि ऐन केन प्रकारेण चुनाव भी जीतना चाहती है.
दो चरणों में चुनाव
बहरहाल राज्य चुनाव आयोग ने नगरीय निकायों के चुनाव दो चरणों में कराने की घोषणा तो कर दी है. साथ ही कोरोना के कारण मतदान का समय 1 घंटे बढ़ा दिया है. लेकिन अभी तक चुनाव की ताऱीखें घोषित नहीं की हैं. वहीं 1 जनवरी को 2021 को 18 साल की उम्र पूरी करने वाले नए मतदाताओं को जोड़ने की प्रक्रिया शुरू कर दी है उससे नेताओं के मन में बैचेनी बढ़ती जा रही है.