छतरपुर जिले में हीरा खदान के लिए 2 लाख 15 हजार पेड़ काटे जाने के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भले रोक लगा दी हो, लेकिन राज्य के वन मंत्री विजय शाह का कहना है कि ये एक सामान्य प्रक्रिया है. केन्द्र सरकार के मापदंड पूरे करने के बाद ही किसी परियोजना को मंजूरी मिलती है. यदि पेड़ कटेंगे भी, तो इससे चार गुना पेड़ लगाए जाएंगे.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने बक्सवाहा में संरक्षित वन क्षेत्र में पेड़ों को काटने को लेकर अहम आदेश दिया है कि बिना वन विभाग की अनुमति के एक भी पेड़ न काटा जाए. एनजीटी ने वन संरक्षण कानून 1980 का पालन कराने, टीएन गोधावर्मन कमेटी की गाइडलाइन का अनुसरण करने और भारतीय वन अधिनियम 1927 के नियमों के तहत कार्रवाई करने के लिए भी कहा है.
गौरतलब है कि बक्सवाहा के 382.131 हेक्टेयर के वन क्षेत्र में एस्सेल माइनिंग इंडस्ट्रीज लिमिटेड को बंदर हीरा खदान प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी दी जानी है. यह आदित्य बिड़ला समूह की एक इकाई है. माना जा रहा है कि यदि ये प्रोजेक्ट सफल रहा तो यह एशिया की सबसे बड़ी हीरा खदान बन सकती है. लेकिन, इस परियोजना से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को लेकर देशभर के पर्यावरणविद लामबंद हो रहे हैं. पर्यावरणविदों का कहना है कि वन मंत्री जरूर एक पेड़ कटने के एवज में चार पेड़ लगाने की बात कह रहे हों, लेकिन आप बताओ कोई आपसे आपका तीस साल का बेटा ले ले और कहे कि छह छह माह के चार शिशु हम आपको दे रहे हैं तो आपकी भरपाई हो जाएगी. यही बात पेड़ों को लेकर है.
डारेक्ट्रेट जनरल इंडियन कौंसिल ऑफ फारेस्ट ट्री रिसर्च एंड एजूकेशन के अध्यय़न के मुताबिक एक पेड़ की औसत उम्र 50 साल मानी जाती है. इस तरह एक पेड़ इन 50 सालों में हमें 52 लाख 400 रुपए की सुविधा प्रदान कर सकता है. 50 साल में एक पेड़ 11 लाख 97 हजार 500 रुपए की ऑक्सीजन छोड़ता है, जो लोगों के लिए प्राण वायु का काम करती है. कोरोना काल में ऑक्सीजन की महत्ता को लोगों ने स्वीकार भी किया.
एक पेड़ इन सालों में 23 लाख 68 हजार 400 रुपए वायु प्रदूषण नियंत्रण में मदद करता है. जबकि, 19 लाख 97 हजार 500 रुपए मूल्य की भू-क्षरण नियंत्रण व उर्वरता बढ़ाने में सहयोग प्रदान करता है. एक पेड़ बारिश के पानी को रोकने, कटाव रोकने और जल को रीसाइकिल करने में 4 लाख 37 हजार रुपए की मदद देता है. इस तरह एक पेड़ 50 साल में हमें 52 लाख 400 रुपए से अधिक का फायदा पहुंचता है. इसलिए एक साथ इतने पेड़ों को काटने को लेकर देश भर में इतनी चिंता जाहिर की जा रही है.
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FIRST PUBLISHED : July 03, 2021, 08:31 IST