इंदौर. चुनाव नजदीक हैं. इसलिए वक्त शक्ति प्रदर्शन का है. इसलिए राजनीतिक दल हरसंभव प्रयास कर रहे हैं कि ज्यादा से से ज्यादा भीड़ जुटाई जाए . इसलिए इंदौर में कांग्रेस ने एक नया रास्ता खोजा है. कहां गया है कि धरना प्रदर्शन में जो दावेदार अच्छी भीड़ जुटाएगा उसे पार्षद का टिकट मिलेगा. कांग्रेस महंगाई के विरोध में वॉर्ड स्तर पर धरना प्रदर्शन करने जा रही है. इसमें जो कार्यकर्ता सबसे ज्यादा भीड़ लाएगा, उसी को पार्षद का टिकट दिया जाएगा और उसी को संगठन में पद दिया जाएगा. इसकी मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी जिलाध्यक्षों को सौंपी गई है.
मध्यप्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं. कांग्रेस ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. वो महंगाई के विरोध में केन्द्र और राज्य की बीजेपी सरकार को घेर रही है, लेकिन कहा जा रहा है कि उनके विरोध प्रदर्शनों में भीड़ नहीं जुट पा रही है, न तो कांग्रेस के नेता भीड़ जुटा पा रहे हैं और न युवा कांग्रेस के नेता युवाओं को इकट्ठा कर पा रहे हैं. ऐसे उसे मिशन 2023 फतह करने की चिंता सताने लगी है. यही वजह कि अब कांग्रेस महंगाई के विरोध में वॉर्ड और बूथ स्तर पर धरना-प्रदर्शन करने जा रही है. प्रदर्शनों के लिए ब्लॉक और मंडलम अध्यक्षों सहित पार्षद का चुनाव लड़ने का सपना देख रहे नेताओं को भीड़ लाने की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है. वॉर्ड स्तर पर होने वाले धरना-प्रदर्शन में जो दावेदार भीड़ जुटाएगा उसे पार्षद का टिकट दिया जाएगा. संगठन में भी वही जगह पाएगा जो कांग्रेस के लिए भीड़ इकट्ठा करेगा.
बढ़ती महंगाई के विरोध में कांग्रेस ने पिछले दिनो जहां देशव्यापी आंदोलन किया था, वहीं प्रदेश और जिला स्तर पर भी विरोध प्रदर्शऩ किए गए. लेकिन कांग्रेस उम्मीद के मुताबिक़ भीड़ नहीं जुटा पाई . इंदौर में जिला कांग्रेस के रीगल तिराहे पर हुए प्रदर्शन में पार्टी के बड़े नेता शामिल ही नहीं हुए. जो नेता धरने पर बैठे थे, वो गर्मी के कारण ज्यादा देर नहीं बैठ पाए. वहीं यूथ कांग्रेस प्रदर्शन में भी युवा नहीं जुट पाए.
इंदौर में युवा कांग्रेस ने 11 अप्रैल को कलेक्ट्रेट पर आंदोलन की तैयारी की थी. इसमें युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया भी शामिल हुए. भीड़ के इंतजार में कार्यक्रम दो घंटे देर से शुरू हुआ. फिर जब लोग नहीं पहुंचे तो आंदोलन की रस्म अदायगी कर दी गई. इसलिए खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ को आगे आना पड़ा. उन्होंने चेतावनी जारी की है कि यदि नेता भीड़ जुटाने में असमर्थ हैं तो वे टिकट की उम्मीद भी न रखें. अब देखने वाली बात ये होगी इस चेतावनी का वॉर्ड स्तर पर होने वाले आंदोलनों में कितना असर दिखाई देता है.
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