इंदौर जिला एवं सत्र न्यायालय ने घूसखोरी के मामले में नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक के मैनेजर को दोषी ठहराते हुए 4 साल जेल की सजा सुनाई है. (न्यूज 18 हिन्दी)
इंदौर. मध्य प्रदेश के इंदौर से बड़ी खबर सामने आई है. जिला एवं सत्र न्यायालय ने रिश्वत के एक मामले में नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक के मैनेजर को 4 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. दोषी मैनेजर ने ऑटो रिक्शा का लोन पास कराने के एवज में रिश्वत मांगी थी. फरियादी की शिकायत पर मैनेजर को लोकायुक्त की टीम ने ट्रैप किया था. मामला कोर्ट पहुंचा था, जिसमें आरोपियों को दोषी करार दिया गया. जिला लोक अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि मंगलवार 7 फरवरी को विशेष न्यायाधीश राकेश गोयल ने प्रकरण क्रमांक 13/2017 में निर्णय देते हुए भरत गोयल पिता रामेश्वर दास गोयल बैंक मैनेजर को पीसी एक्ट की धारा 7, 13(1)(डी), 13(2) में 4-4 साल का कठोर कारावास की सजा सुनाते हुए अर्थदंड भी लगाया है.
लोक अभियोजक ने बताया कि अर्थदंड की राशि अदा न करने पर 3 माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी. अभियोजन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक ज्योति गुप्ता ने की थी. फरियादी देवदास मकवाना ने 5 अक्टूबर 2016 को लोकायुक्त कार्यालय इंदौर में एक आवेदन पत्र दिया था. उन्होंने बताया था कि उनका नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक (शाखा सुदामा नगर, इंदौर) से ऑटो रिक्शा खरीदने के लिए 9 अगस्त 2016 को 2 लाख रुपए का लोन स्वीकृत हुआ था. लोन में 40 हजार रुपए की सब्सिडी प्राप्त हुई थी. फरियादी देवदास ने 2 सितंबर 2016 को साढ़े 11 बजे बैंक जाकर मैनेजर भरत गोयल से मिलकर लोन राशि देने और सब्सिडी राशि के बारे में चर्चा की थी. आरोप है कि भरत गोयल ने आवेदक को लोन राशि का चेक देने और सब्सिडी राशि को लोन खाते में जमा करने के एवज में 20 हजार रुपये रिश्वत की मांग की और कहा कि रुपये नहीं दिए तो सब्सिडी की राशि लोन खाते में जमा नहीं होगी.
आवेदक को दो लाख रुपये लोन पर पूरा ब्याज भरना होगा. फरियादी देवदास ने भरत गोयल से रिश्वत की रकम कम करने को कहा तो उन्होंने 5 हजार रुपये रिश्वत राशि कम करते हुए 15 हजार रुपए रिश्वत लेना तय किया. इसके बाद लोकायुक्त ने कार्रवाई करते हुए आरोपी भरत को 6 अक्टूबर 2016 को फरियादी देवदास से रिश्वत राशि 6000 रुपए सफाईकर्मी भोलाराम को दिलवाई थी. लोकायुक्त पुलिस ने मौके पर ही रिश्वत की राशि जब्त कर ली और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. मामले की जांच के बाद आगे की कार्रवाई के लिए अभियोग पत्र विशेष न्यायालय इंदौर में पेश किया गया था. कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाया.
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