शायर राहत इंदौरी ने यह बात संशोधित नागरिकता कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (NPR) के खिलाफ पिछले कई दिनों से शहर के बड़वाली चौकी इलाके में जारी विरोध प्रदर्शन के मंच से बृहस्पतिवार रात कही. इस मंच से 70 वर्षीय शायर के संबोधन के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. इंदौरी ने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से दरख्वास्त करना चाहूंगा कि अगर वह संविधान (Constitution) पढ़ नहीं पाए हैं, तो किसी पढ़े-लिखे आदमी को बुला लें और उससे संविधान पढ़वाकर समझने की कोशिश करें कि इसमें क्या लिखा है और क्या नहीं.'
उन्होंने सीएए, एनपीआर और एनआरसी के मुद्दों पर दिल्ली के शाहीन बाग और इंदौर के अलग-अलग इलाकों में जारी विरोध प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा, 'ये लड़ाई भारत के हर हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई की लड़ाई है. हम सबको मिलकर यह लड़ाई लड़नी है.'
फैज अहमद फैज की नज्म 'हम देखेंगे, लाजिम है कि हम भी देखेंगे' को एक धर्म विशेष के खिलाफ बताए जाने के विवाद पर भी राहत इंदौरी ने अपनी बातें रखीं. इस नज्म की ओर इशारा करते हुए इंदौरी ने कहा कि कुछ लोगों ने फैज की इस रचना का मतलब ही बदल दिया.
उन्होंने कहा, 'मुझे फैज की नज्म का मतलब बदले जाने पर अचंभा नहीं हुआ, क्योंकि ऐसा करने वाले लोग कम पढ़े-लिखे हैं. वे न तो हिन्दी जानते हैं, न ही उर्दू.' इंदौरी ने सीएए विरोधी मंच से अपनी अलग-अलग रचनाओं समेत यह मशहूर शेर भी सुनाया, 'सभी का खून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.' उन्होंने कहा कि यह बात अफसोसनाक है कि उनके इस शेर को मीडिया और कुछ लोगों ने केवल मुसलमानों से जोड़ दिया है, जबकि इस शेर का ताल्लुक हर उस भारतीय नागरिक से है जो अपनी मातृभूमि के लिए जान तक कुर्बान करने का जज्बा रखता है.
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FIRST PUBLISHED : February 07, 2020, 17:43 IST