MP में स्वास्थ्य सेवाओं की नसबंदी! 34 महिलाओं को जमीन पर लिटाने का मामला आया सामने

नसबंदी का आंकड़ा पूरा करने के लिए मानवीय संवेदनाएं हुईं तार तार.
जबलपुर के चरगवां स्वास्थ्य केंद्र (Charagwan Health Center) में टारगेट के चक्कर में 40 महिलाओं की नसबंदी की गई. हैरानी की बात ये है कि सिर्फ 6 को ही बिस्तर नसीब हो पाया और बाकी 34 महिलाओं को जमीन पर लिटाया गया.
- News18 Madhya Pradesh
- Last Updated: December 25, 2019, 6:50 PM IST
जबलपुर. जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) के लिहाज से ग्रामीण अंचलों में आयोजित होने वाले नसबंदी शिविर (Sterilization Camps) बुरे हाल में चल रहे हैं. चरगवां स्वास्थ्य केंद्र में नसबंदी का आंकड़ा पूरा करने के लिए गत महीने से शिविरों का आयोजन हो रहा है. हर बार कोई न कोई अव्यवस्था आसानी से देखी जा रही थी, लेकिन इस बार तो हद ही पार हो गई. चरगवां स्वास्थ्य केंद्र (Charagwan Health Center) में टारगेट के चक्कर में 40 महिलाओं की नसबंदी की तैयारी की गई. हैरानी की बात ये है कि सिर्फ 6 महिलाओं को ही बिस्तर नसीब हो पाया और बाकी की 34 महिलाएं को जमीन पर लिटाया गया. जबकि यह वैकल्पिक इंतजाम मानवीय दृष्टिकोण से बिल्कुल भी स्वीकार करने योग्य नहीं था.
यही नहीं, तस्वीरें कुछ ऐसी बनी कि मानो स्वास्थ्य केंद्र कम मुर्दाघर ज्यादा लग रहा था. एक के बाद एक महिलाओं को इस कदर लिटा दिया गया जैसे इनमें जान ही न बची हो. वहीं एक तो बिस्तर नहीं ऊपर से स्ट्रेचर भी स्वास्थ्य केंद्रों से नदारद दिखी. दर्द से कराहती महिलाओं को परिजन खुद स्ट्रेचर बनकर उन्हें इधर-उधर करते नजर आए.
सीएमएचओ ने खड़े किए हाथ
हैरान कर देने वाली इन तस्वीरों के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारी के बयान ने तो गजब ही कर दिया. पूरे मामले से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मनीष मिश्रा अनजान नहीं थे. उन्होंने खुद स्वीकारा किया कि स्वास्थ्य केंद्र 6 बिस्तरों वाला है और ऐसे में 40 मरीजों को कहां से बिस्तर नसीब होगा. इस बयान के बाद ये सवाल भी खड़ा होता है कि क्या टारगेट के चक्कर मे मानवीय संवेदनाओं को भी दर किनार कर दिया जाता है.बहरहाल, अगर स्वास्थ्य केंद्र में बिस्तर उपलब्ध नहीं है तो फिर इन्हें जबलपुर के जिला चिकित्सालय में रेफर क्यों नहीं किया गया. कड़कड़ाती ठंड में सीएमएचओ साहब के अगर किसी परिजन को ऑपरेशन कर जमीन पर लिटा दिया जाए तो शायद वो आग बबूला हो जाते, लेकिन ग्रामीणों के लिए जमीन पर बिस्तर की व्यवस्था सबसे बेहतर है. हालांकि इस घटना के बाद प्रदेश में बवाल मच सकता है.
ये भी पढ़ें-
सभी कांग्रेस शासित राज्य CAA को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती- विवेक तन्खा
7 करोड़ की लागत से बनी 700 मीटर लंबी सड़क, मिलेंगी यूरोप जैसी सुविधाएं
यही नहीं, तस्वीरें कुछ ऐसी बनी कि मानो स्वास्थ्य केंद्र कम मुर्दाघर ज्यादा लग रहा था. एक के बाद एक महिलाओं को इस कदर लिटा दिया गया जैसे इनमें जान ही न बची हो. वहीं एक तो बिस्तर नहीं ऊपर से स्ट्रेचर भी स्वास्थ्य केंद्रों से नदारद दिखी. दर्द से कराहती महिलाओं को परिजन खुद स्ट्रेचर बनकर उन्हें इधर-उधर करते नजर आए.
सीएमएचओ ने खड़े किए हाथ
हैरान कर देने वाली इन तस्वीरों के बाद जिला स्वास्थ्य अधिकारी के बयान ने तो गजब ही कर दिया. पूरे मामले से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी मनीष मिश्रा अनजान नहीं थे. उन्होंने खुद स्वीकारा किया कि स्वास्थ्य केंद्र 6 बिस्तरों वाला है और ऐसे में 40 मरीजों को कहां से बिस्तर नसीब होगा. इस बयान के बाद ये सवाल भी खड़ा होता है कि क्या टारगेट के चक्कर मे मानवीय संवेदनाओं को भी दर किनार कर दिया जाता है.बहरहाल, अगर स्वास्थ्य केंद्र में बिस्तर उपलब्ध नहीं है तो फिर इन्हें जबलपुर के जिला चिकित्सालय में रेफर क्यों नहीं किया गया. कड़कड़ाती ठंड में सीएमएचओ साहब के अगर किसी परिजन को ऑपरेशन कर जमीन पर लिटा दिया जाए तो शायद वो आग बबूला हो जाते, लेकिन ग्रामीणों के लिए जमीन पर बिस्तर की व्यवस्था सबसे बेहतर है. हालांकि इस घटना के बाद प्रदेश में बवाल मच सकता है.
ये भी पढ़ें-
सभी कांग्रेस शासित राज्य CAA को सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती- विवेक तन्खा
7 करोड़ की लागत से बनी 700 मीटर लंबी सड़क, मिलेंगी यूरोप जैसी सुविधाएं