जबलपुर के डॉ. एमसी डावर को पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई है
अभिषेक त्रिपाठी
जबलपुर. परहित सरिस धर्म नहीं भाई… इसको आधार बनाकर मध्य प्रदेश के जबलपुर के डॉक्टर डॉ. एमसी डावर ने बगैर किसी लालच के लोगों की सेवा का बीड़ा उठाया है. उन्होंने वर्ष 1986 में मात्र दो रुपए में मरीजों का इलाज करना शुरू किया था. आज के इस महंगाई के दौर में भी उनकी फीस महज 20 रुपए है. डॉ. एमसी डावर के इस सेवाभाव के लिए देश ने उन्हें सम्मान दिया है. भारत के 74वें गणतंत्र दिवस के एक दिन पहले पद्म पुरस्कार पाने वाले विजेताओं की सूची में डॉ. डावर का भी नाम शामिल है.
डॉ. डावर ने बताया कि वो एमबीबीएस करने के बाद सेना में भर्ती हुए थे. साल 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान उन्होंने विभिन्न सैनिकों का इलाज किया था. डॉ. डावर को भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद बीमारी के वजह से सेना से रिटायर होना पड़ा था.
उन्होंने कहा कि मैने अपने पूर्वजों और गुरु से सेवा की भावना सीखी है. जब मैंने शुरुआत की तब 1986 में मैंने दो रुपये फीस लेकर मरीजों का इलाज करना शुरू किया था. वर्ष 1997 से पांच रुपये फीस लेना शुरू किया था. मेरे अंदर परहित सरिस धर्म नहीं भाई वाला विचार अच्छे से पनप रहा था. डॉक्टर डावर के अनुसार वर्ष 2012 में इलाज की फीस के तौर पर वो 10 रुपये लेते थे. वर्तमान समय में वो केवल 20 रुपये फीस लेकर इलाज करते हैं.
77 वर्ष की आयु में पद्मश्री से हो रहे सम्मानित
बता दें कि, डॉक्टर एमसी डावर 77 वर्ष की आयु में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हो रहे हैं. उनका जन्म 16 जनवरी, 1946 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था. 1947 में हुए बंटवारे के बाद उनका परिवार भारत आकर जबलपुर में रहने लगा था.
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