जबलपुर. मध्य प्रदेश के उपभोक्ताओं के लिए राहतभरी खबर है. प्रदेश की बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग में दायर याचिका वापस ले ली है. यानी, फिलहाल प्रदेश में बिजली के दाम नहीं बढ़ेंगे. कंपनियों ने ये याचिकाएं तकनीकी खामी के चलते वापस ली हैं. अब आयोग के आदेश पर कंपनियों को नए सिरे से टैरिफ याचिका दायर करनी होगी. विशेषज्ञों का कहना है कि अब जो भी याचिका दायर हो वो ये सोच-समझकर हो कि जनता पहले से ही महंगी बिजली खरीदने पर मजबूर है.
दरअसल, मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग में नवंबर माह में टैरिफ याचिका दायर की थी. लेकिन, अब कंपनियों को टैरिफ याचिका में तकनीकी खामियां नजर आई हैं. उन्होंने ये मामला फिलहाल टाल दिया है. गौरतलब है कि बिजली कंपनियों ने पिछले साल 30 नवंबर को विद्युत नियामक आयोग में टैरिफ याचिका दायर कर दी थी और उसी साल दिसंबर में टैरिफ याचिका का अधिनियम प्रकाशित किया. ये नियमों के विरुद्ध है. आयोग ने याचिकाओं अब नई टैरिफ याचिका दायर करने के निर्देश दिए हैं.
विशेषज्ञ कर रहे अब ये मांग
इस मामले पर विशेषज्ञ डॉ राजेंद्र अग्रवाल का कहना है कि अब कंपनियों से मांग है कि आने वाले समय में जब नई टैरिफ याचिका दायर की जाए तो उसमें इस बात का ख्याल रखा जाए कि मध्य प्रदेश का आम उपभोक्ता पहले से ही महंगी बिजली खरीद रहा है. लिहाजा, बिजली के दाम न बढ़ाए जाएं. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की तीन विद्युत वितरण कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग में याचिका प्रस्तुत की थी.
कंपनियों ने कही थी ये बात
इसमें कहा गया था कि आगामी वित्तीय वर्ष साल 2022-23 के लिए बिजली दरों में 8.71 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की जाए. प्रदेश की पूर्व ,मध्य और पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों की ओर से दायर की गई इस याचिका में कहा गया था कि आगामी वर्ष 2022-23 के लिए करीब 48 हजार 874 करोड़ रुपए की जरूरत पड़ेगी. इसकी वजह से बिजली कंपनियों को करीब 3 हजार 915 करोड़ रुपए का घाटा लगेगा इसलिए प्रदेश में बिजली की मौजूदा दरों में ये बढ़ोत्तरी जरूरी है.
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