मध्य प्रदेश में कोरोना (Corona) संकट के बीच इलाज की अव्यवस्थाओं के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) में आज सुनवाई हुई. प्रदेश के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक की डिवीजन बेंच ने आज मामले पर लिए गये स्वतः संज्ञान सहित अन्य याचिकाओं पर करीब 3 घंटे तक सुनवाई की. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने एक्शन टेकन रिपोर्ट पेश की. हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में जारी किए गए दिशा-निर्देशों का क्या पालन हुआ, यह बताने के लिए राज्य सरकार ने 17 पन्नों की कम्प्लायंस रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश की.
राज्य सरकार के जवाब पर याचिकाकर्ताओं के वकीलों और कोर्ट मित्र ने कई आपत्तियां दर्ज करायी. सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने चार से पांच मुख्य बिंदुओं पर विस्तृत सुनवाई की और मौजूदा स्थितियों पर अपनी चिंता भी जताई .हाईकोर्ट ने पाया की कोर्ट के सख्त निर्देश के बावजूद मध्य प्रदेश में रेमडेसीविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है, जिस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. कोर्ट ने सरकार से पूछा कि आखिर ऐसे हालातों में रेमडेसीविर इंजेक्शन का आयात क्यों नहीं किया जा रहा है.
कोरोना जांच में हो रही देरी पर भी हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने पाया कि उसके पूर्व आदेश के मुताबिक अधिकतम 36 घंटों के भीतर आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट मिल जानी चाहिए थी. लेकिन, आज भी प्रदेश में कई जगहों पर सैंपल रिपोर्ट आने में 5 से 6 दिनों तक का वक्त लिया जा रहा है. इधर मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत पर हाईकोर्ट ने पाया कि मध्य प्रदेश सरकार, ऑक्सीजन के मामले पर पूरी तरह केंद्र सरकार पर निर्भर है. कोर्ट ने पाया कि एक तरफ केंद्र सरकार पर निर्भरता और दूसरी तरफ मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन का उत्पादन ना होने की वजह से प्रदेश में ऑक्सीजन की किल्लत के हालात बने हैं.
आज मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रदेश में डेडीकेटेड कोविड हॉस्पिटल और कोविड केयर सेंटर्स की कमी पर भी चिंता जताई है. सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र नियुक्त किए गए सीनियर एडवोकेट नमन नागरथ ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर फरवरी-मार्च में ही दस्तक दे चुकी थी, जिसकी जानकारी उन्होंने एक आवेदन के जरिए भी सरकार को दी थी. लेकिन, सरकार सो रही थी. सरकार ने वक्त रहते कोई कदम नहीं उठाए. कोर्ट मित्र की ओर से कहा गया कि अब तक प्रदेश सरकार सिर्फ पीएम केयर्स फंड और चैरिटी के तहत ऑक्सीजन की व्यवस्था में जुटी रही, जबकि उसने अपने दम पर एक भी ऑक्सीजन प्लांट नहीं लगाया.
वहीं दूसरी तरफ सरकार ने अपने जवाब में दावा किया कि प्रदेश के शासकीय और निजी अस्पतालों में बेड्स की पर्याप्त व्यवस्था है, जिसकी ऑक्युपेंसी भी कम है. इस पर याचिकाकर्ताओं और कोर्ट मित्र की ओर से सख्त आपत्ति जताई गई. कहा गया कि प्रदेश में लोगों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे हैं फिर भी सरकार द्वारा ऑक्युपेंसी कम बताना गलत है. बहराल करीब 3 घंटे तक चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सभी पक्षों को विस्तार से सुना. हाई कोर्ट ने मामले पर आदेश जारी करने के लिए कल की तारीख तय की है.मतलब कि कल हाईकोर्ट मध्य प्रदेश में कोरोना मरीजों के इलाज की व्यवस्था सहित रेमडेसीविर और ऑक्सीजन के मुद्दे सहित कई बिंदुओं पर सरकार को अपना आदेश जारी करेगी.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |
FIRST PUBLISHED : April 28, 2021, 16:32 IST