मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले की तर्ज पर एक और घोटाला नजर आ रहा है. जबलपुर जिले में स्थित मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी में भी उन स्टूडेंट्स को पास कर दिया गया, जो परीक्षा में ही नहीं बैठे थे. अगर स्टूडेंट्स इसकी शिकायत चिकित्सा शिक्षा विभाग को नहीं करते, तो ये घोटाला सामने नहीं आता. मामले में कॉन्ट्रेक्ट कंपनी माइंडलॉजिस्क पर शक जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक, मप्र मेडिकल यूनिवर्सिटी का जब रिजल्ट आया तो डेंटल और नर्सिंग के स्टूडेंट्स को हैरानी हुई. उन्हें पता चला कि वे स्टूडेंट्स भी पास हो गए जो परीक्षा में ही नहीं बैठे थे. स्टूडेंट्स को ये भी जानकारी हाथ लगी कि कम नंबर लाने वाले स्टूडेंट्स के नंबर बढ़ाए गए हैं. उन्होंने इसकी शिकायत चिकित्सा शिक्षा विभाग में कर दी.
चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जब शिकायत पर जांच के आदेश दिए तो कंपनी छात्र-छात्राओं के गोपनीय डेटा पर ही कुंडली मारकर बैठ गई. हांलांकि ठेका शर्तों के मुताबिक छात्र-छात्राओं का डेटा विश्वविद्यालय के सर्वर में ही सुरक्षित रखना था. लेकिन जानकारी मांगे जाने पर कंपनी ने बैंगलुरु स्थित अपना कार्यालय लॉकडाउन में बंद होने का हवाला दे दिया. इसके बाद मामले की छानबीन के लिए मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलसचिव डॉक्टर जेके गुप्ता की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी बनाई गई.
कमेटी की जांच में पता चला कि माइंडलॉजिक्स, गोपनीय विभाग का बाबू और परीक्षा नियंत्रक के बीच सांठ-गांठ हुई है. परीक्षा नियंत्रक ने ई-मेल पर कई छात्रों के नंबर भी बुलवाए. जांच टीम को लगता है कि ये मामला और बड़ा हो सकता है. क्योंकि MBBS तक का रिजल्ट बनाने में भी माइंडलॉजिक्स कंपनी का हाथ होता है. कमेटी ने 10 दिन की जांच रिपोर्ट कुलपति के अनुमोदन के बाद चिकित्सा शिक्षा विभाग को भेज दी है. इस मामले की जांच अब लगातार जारी रहेगी.
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FIRST PUBLISHED : June 18, 2021, 13:25 IST